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जैनदर्शन की प्रबन्धकीय अवधारणा के आधार पर हमारे समक्ष प्रबन्धन के अन्तर्गत मुख्यतः पाँच पक्ष आते हैं -
1) प्रबन्धन करने वाला 3) प्रबन्धन के साधक-तत्त्व 5) प्रबन्धन के लक्ष्य की प्राप्ति 2) प्रबन्धन का लक्ष्य
4) प्रबन्धन के बाधक-तत्त्व
साध्य या लक्ष्य
की प्राप्ति
लक्ष्य-प्राप्ति के प्रयत्न
आद्य परिवेश से प्राप्त
अध्याय 1: जीवन-प्रबन्धन का पथ
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