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________________ 154 मिच्छत्त वेद रागा, हासादि भया होन्ति छद्दोसा। 184 योगशास्त्र, 2/18 चत्तारि तह कसाया, चोद्दसं अभंतरा गंथा।। 185 वही, 2/21 - प्रतिक्रमणत्रयी, पृ. 175 186 अत्थोमूलं अणत्थाणं - मरणसमाधि, 603 (सूक्तित्रिवेणी, (जैनआचार, देवेन्द्रमुनि, पृ. 855 से उद्धृत) उपा.अमरमुनि, पृ. 236 से उद्धृत) 155 कोहो माणो माया, लोभो पज्ज तहेव दोसो अ। 187 साधना के सूत्र, मधुकरमुनि, पृ. 182 मिच्छत्त वेद अरइ, रइ हासो सोगो भय दुगुंछा।। 188 योगशास्त्र, 1/51 - बृहत्कल्पभाष्य, 831 189 साधना के सूत्र, मधुकरमुनि, पृ. 182 156 कम्मपरिग्गहे, सरीरपरिग्गहे, वाहिरभंडमत्त परिग्गहे - 190 दीघनिकाय, 3/8/4 (डॉ.सागरमलजैन अभिनन्दनग्रन्थ, पृ. व्याख्याप्रज्ञप्तिसूत्र, 18/7/10 188 से उद्धृत) 157 आवश्यक हारिभद्रीयावृत्ति, अ. 6 191 आदिस्समाणे...मयण्णे खेयण्णे...अपडिण्णे। (जैनआचार, देवेन्द्रमुनि, पृ. 856 से उद्धृत) - आचारांगसूत्र, 1/2/5/3 (90) 157A वितं सोयरिया च – सूत्रकृतांगसूत्र, 1/1/5, 192 आहार उवहिसिज्ज, उग्गमउप्पायणेसणा सुद्धं । (भारतीयजीवनमूल्य, डॉ.सुरेन्द्रवर्मा, पृ. 140 से उदधृत) गिण्हइ अदीणहियओ, जोहोई स एसणा समिओ। 158 अगारधर्म, पृ. 66 - उपदेशपुष्पमाला, मल्लधारीहेमचंद्रसूरि, 179 159 उत्तराध्ययनसूत्र, 19/17 193 दशवैकालिकनियुक्ति, 268 160 वही, 4/2 194 साधना के सूत्र, मधुकरमुनि, पृ. 187 161 सूत्रकृतांगसूत्र, 1/10/18 195 डॉ.सागरमलजैन अभिनन्दनग्रन्थ, पृ. 576 162 तत्त्वार्थराजवार्त्तिक, 7/17/3/545 196 सूत्रकृतांगसूत्र, 1/9/3 163 उपदेशमाला, पृ. 310 197 अर्थशास्त्र के सिद्धान्त, डॉ.रामरतन शर्मा, पृ. 2 164 सूत्रकृतांगसूत्र, 2/1/670 198 दशवैकालिकनियुक्ति, 263 165 प्रश्नव्याकरणसूत्र (सन्मति प्रकाशन), पृ. 761 (जैनआचार, 199 तिविहेण जाविसे तत्थ मताभव.....विप्परिया समुवेइ। - देवेन्द्रमुनि, पृ. 855 से उद्धृत) आचारांगसूत्र, 1/2/4/2 166 उत्तराध्ययनसूत्र, 8/16 200 कोहं माणं च मायं च लोभं च पाववड्ढणं। 167 अगारधर्म, पृ. 68 वमे चतारि दोसे उ, इच्छतो हियमप्पणो।। 168 सूत्रप्राभृत, 27 - दशवैकालिकसूत्र 8/36 169 आचारांगसूत्र, 1/2/5/5 201 स्थानांगसूत्र, 4/2/284 170 प्रश्नव्याकरणसूत्र, 2/3/2 202 सूत्रकृतांगसूत्र, 1/9/4 171 श्रीमद्देवचन्द्र, अतीत चौबीसी, 24/5 203 योगशास्त्र, 1/39 172 उत्तराध्ययनसूत्र, 9/48 204 सव्व दुक्ख संनिलयं अप्पसुहो बहुदुक्खो....महमओ - 173 जैनआचार, देवेन्द्रमुनि, पृ. 110 प्रश्नव्याकरणसूत्र, 1/5 174 अर्थशास्त्र के सिद्धान्त, डॉ.रामरतन शर्मा, पृ. 17 205 दशवैकालिकसूत्र, 1/4 175 जहा लाहो तहा लोहो, लाहा लोहो पवड्ढइ 206 वही, 9/2/22 - उत्तराध्ययनसूत्र 8/17 207 वयछक्कं कायछक्क, अकप्पो गिहिभायणं । 176 निशीथभाष्य, 2790 पलिअंक निसिज्जाए, सिणाणं सोभवज्जणं ।। 177 दशवैकालिकसूत्र, 8/38 - दशवैकालिकनियुक्ति, 268 178 तत्त्वार्थसूत्र, 6/9 208 मुनि गुण स्वाध्याय, श्रीमद्देवचंद्र, 2/584 179 वही, 6/9 209 महावीर का अर्थशास्त्र, आ.महाप्रज्ञ, पृ. 126 180 अर्थशास्त्र के सिद्धान्त, डॉ.रामरतन शर्मा, पृ. 9 210 तत्त्वार्थसूत्र, 1/33 181 प्राचीन जैन साहित्य में आर्थिक जीवन, 211 जैन, बौद्ध और गीता, डॉ.सागरमलजैन, डॉ.कमल जैन, पृ. 198 2/157 182 तत्त्वार्थसूत्र, 6/16 212 योगशास्त्र, 2/1 183 बृहद्भाष्य, 4584 213 श्रीमद्राजचन्द्र, पत्रांक 949, पृ. 670 611 अध्याय 10 : अर्थ-प्रबन्धन 83 Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003975
Book TitleJain Achar Mimansa me Jivan Prabandhan ke Tattva
Original Sutra AuthorN/A
AuthorManishsagar
PublisherPrachya Vidyapith Shajapur
Publication Year2013
Total Pages900
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size17 MB
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