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________________ कहा गया जब तक बुढ़ापा नहीं आता और इन्द्रियाँ अशक्त नहीं होती, तब तक धर्म का अच्छी तरह आचरण कर लेना चाहिए। 44 - 7) जीवन के दो रूप बताए गए हैं संयमित जीवन ही श्रेयस्कर है, क्योंकि इसमें जीवन निर्वाह के साथ जीवन-निर्माण के लक्ष्य की प्राप्ति का प्रयत्न भी किया जाता है। यह वस्तुतः अनावश्यक कार्यों को छोड़कर आवश्यक कार्यों को महत्त्व देने वाला जीवन है। इन दोनों प्रकार के जीवन को ही हम क्रमशः प्रबन्धित और अप्रबन्धित जीवन भी कह सकते हैं। जरा जाव न पीलेइ, वाही जाव न वड्ढइ । जीविंदिया न हायंति, ताव धम्मं समायरे ।। 11 45 संयमित - जीवन और असंयमित जीवन । इनमें से जीवितं दुविहं - संजमजीवियं, असंजमजीवियं च 8) जीवन में संयोग और वियोग का सिलसिला लगा ही रहता है। इसमें कभी अनुकूल और कभी प्रतिकूल परिस्थितियाँ मिलती रहती हैं। इनमें कैसे जीना चाहिए, यह एक कला है। जीवन–प्रबन्धन का उद्देश्य इसी कला का शिक्षण-प्रशिक्षण प्रदान करना है। इसके अनुसार, व्यक्ति को जीवन-मरण, लाभ-हानि, संयोग-वियोग, की बन्धु - शत्रु और सुख-दुःख परिस्थितियों में राग-द्वेष से रहित होकर सम परिणाम रखना चाहिए, जिसे सामायिक कहते हैं 146 Jain Education International 9) जीवन में सभी को सुख अच्छा लगता है और दुःख बुरा 'सुहसाया दुक्खपडिकूला' 17 अतः हमें यह मानना चाहिए कि जैसे हमें दुःख प्रिय नहीं है, वैसे ही सब जीवों को भी दुःख प्रिय नहीं है। 48 जीवन - प्रबन्धन की नीति भी यही है कि हम किसी को दुःखी न करें और कोई कुछ भी करे, हम दुःखी न हों। इसे ही 'जिओ और जीने दो' (Live & Let Live) की नीति भी कहते हैं। लाभालाभे सुहे दुक्खे, जीविए मरणे तहा । समो निंदा - पसंसासु, तहा माणावमाणओ ।। 10) जीवन का पूर्वार्ध वृद्धिमय होता है, जबकि उत्तरार्ध ह्रासमय होता है। इस आधार पर जैनाचार्यों ने जीवन को सौ वर्ष का मानकर दस-दस वर्ष के दस विभाग किए हैं49_ 1) बाला 2) क्रीड़ा 3) मन्दा 4) बला 5) प्रज्ञा 6) हायनी 7 ) प्रपंचा 8 ) प्राग्धारा 9) मृन्मुखी 10) शायनी अध्याय 1: जीवन- प्रबन्धन का पथ For Personal & Private Use Only 11 www.jainelibrary.org
SR No.003975
Book TitleJain Achar Mimansa me Jivan Prabandhan ke Tattva
Original Sutra AuthorN/A
AuthorManishsagar
PublisherPrachya Vidyapith Shajapur
Publication Year2013
Total Pages900
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size17 MB
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