SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 509
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ अध्याय 8 . पर्यावरण-प्रबन्धन (Environment Management) Page No. Chap. Cont. 426 428 432 444 446 446 447 447 449 450 451 452 453 8.1 पर्यावरण क्या है? 8.2 पर्यावरण का सार्वभौमिक, सार्वकालिक और सार्वजनिक महत्त्व 8.3 पर्यावरण की समस्याएँ एवं पर्यावरण प्रदूषण के दुष्परिणाम 8.4 पर्यावरण की समस्याओं एवं पर्यावरण प्रदूषण के मूल कारण 8.5 जैनआचारमीमांसा के परिप्रेक्ष्य में पर्यावरण प्रबन्धन 8.5.1 पर्यावरण-प्रबन्धन : एक परिचय 8.5.2 जैनआचारमीमांसा में पर्यावरण-प्रबन्धन के सैद्धान्तिक पक्ष (1) पर्यावरण-प्रबन्धन सम्बन्धी उद्देश्य बनाना (2) अहिंसा एवं पर्यावरण-प्रबन्धन का सहसम्बन्ध (3) षट्कायिक जीवों की जयणा एवं पर्यावरण-प्रबन्धन (4) आत्मौपम्य दृष्टि का विकास एवं पर्यावरण-प्रबन्धन (5) वैचारिक अहिंसा एवं पर्यावरण-प्रबन्धन (6) विधि-निषेध रूप अहिंसा एवं पर्यावरण-प्रबन्धन (7) परस्पर सहयोग की भावना एवं पर्यावरण-प्रबन्धन (8) माधुकरी वृत्ति एवं पर्यावरण-प्रबन्धन (9) हिंसा के दुष्परिणाम एवं पर्यावरण-प्रबन्धन की प्रेरणा (10) आत्म-स्वातन्त्र्य एवं पर्यावरण-प्रबन्धन 8.6 जैनआचारमीमांसा में पर्यावरण-प्रबन्धन का प्रायोगिक पक्ष 8.6.1 भूमि-संरक्षण 8.6.2 जल-संरक्षण 8.6.3 अग्नि -संरक्षण 8.6.4 वायु-संरक्षण 8.6.5 वनस्पति-संरक्षण 8.6.6 त्रस जीव संरक्षण 8.7 निष्कर्ष 8.8 स्वमूल्यांकन एवं प्रश्नसूची (Self Assessment : A questionnaire) सन्दर्भसूची 454 455 456 457 459 459 463 467 471 474 477 482 484 485 Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003975
Book TitleJain Achar Mimansa me Jivan Prabandhan ke Tattva
Original Sutra AuthorN/A
AuthorManishsagar
PublisherPrachya Vidyapith Shajapur
Publication Year2013
Total Pages900
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size17 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy