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134 नयामानव नयाविश्व, आ.महाप्रज्ञ, पृ. 124 135 स्थानांगसूत्र, 10/93 136 नयचक्र, 92 137 आधुनिक असामान्य मनोविज्ञान, अरुणसिंह,
पृ. 138–166 138 वही, पृ. 167-173 139 ग्रन्थराजश्रीपंचाध्यायी, 1086-1087 140 मोक्षमार्गप्रकाशक, अधिकार 3, पृ. 46-62 141 सूत्रकृतांगसूत्र, 1/5/2/23 142 बृहत्कल्पभाष्य, 2690 143 ऋषिभाषित, 21/1 144 भगवतीआराधना, 759 145 उत्तराध्ययनसूत्र, 23/53 146 आनन्दघन चौबीसी, 17/8 147 जीवन की मुस्कान, डॉ.प्रियदर्शनाश्री, पृ. 11 148 व्यवहारभाष्य, पीठिका, 77 149 प्रबोधटीका, 1/192 150 संबोधसप्ततिका, 2
(कषाय, सा.हेमप्रज्ञाश्री, पृ. 132 से उद्धृत) 151 उत्तराध्ययनसूत्र, 23/58 152 वही, 14/24 153 तत्त्वज्ञानतरंगिणी, 3/3-4 154 स्थानांगसूत्र, 3/3/357 155 संबोधसित्तरी, 25 (प्राकृतसूक्तिकोश,
महो.चन्द्रप्रभसागर, पृ. 176 से उद्धृत) 156 ध्यानशतक, 103 (वही, पृ. 155 से उद्धृत) 157 श्रमणपत्रिका, जनवरी-मार्च, 1997, पृ. 13 158 समणसुत्तं, 481 159 बृहत्कल्पभाष्य, 1169 160 तत्त्वार्थसूत्र, रामजीभाई दोशी, 9/22 161 समयसार, 9/383-385 162 ओघनियुक्ति, 806 163 आनन्दघन चौबीसी, 1/6 164 श्रमणपत्रिका, जनवरी-मार्च, 1997, पृ. 12 165 आत्माज्ञानभवं दुःखं, आत्मज्ञानेन हन्यते।
अभ्यस्तं तत् तथा तेन, येनात्मा ज्ञानमयो भवेत्।।
- ज्ञानसार, रमणलाल ची. शाह, पृ. 69 166 उत्तराध्ययनसूत्र, 20/37 167 तत्त्वार्थसूत्र, 7/1 168 दशवैकालिकसूत्र, 8/37
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जीवन-प्रबन्धन के तत्त्व
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