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अध्याय 6
अभिव्यक्ति-प्रबन्धन (Communication Management)
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6.1 अभिव्यक्ति का स्वरूप - सांकेतिक और भाषिक अभिव्यक्ति 6.2 अभिव्यक्ति का महत्त्व 6.3 भाषिक (वाचिक) अभिव्यक्ति का विशिष्ट महत्त्व 6.4 भाषिक-अभिव्यक्ति का दुरुपयोग 6.5 असंयमित भाषिक-अभिव्यक्ति के दुष्परिणाम 6.6 जैनआचारमीमांसा के परिप्रेक्ष्य में भाषिक-अभिव्यक्ति का प्रबन्धन
6.6.1 अभिव्यक्ति में स्याद्वाद (सापेक्षता) 6.6.2 वाणी के साथ विचारों का सम्यक संयम 6.6.3 भाषा समिति
(1) प्रिय वचन (2) हित वचन (3) मित वचन
(4) निरवद्य (निर्दोष) वचन 6.6.4 जीवन में वाणी का सम्यक प्रयोग 6.6.5 भाषा-समिति का पालन न हो पाने के अंतरंग कारण 6.6.6 वचन-गुप्ति (मौन)
6.6.7 वक्तृत्व के साथ श्रवण कला का सम्यक समन्वय 6.7 भाषिक-अभिव्यक्ति-प्रबन्धन : प्रायोगिक-अध्ययन 6.8 निष्कर्ष 6.9 स्वमूल्यांकन एवं प्रश्नसूची (Self Assessment: A questionnaire)
सन्दर्भसूची
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