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________________ (च) पैर (Lower Limb) – पेट के निचले हिस्से से दो शाखाएँ निकलती हैं, जिन्हें दायाँ एवं बायाँ पैर कहते हैं। दोनों पैर पेट की हड्डी श्रोणिमेखला (Pelvis) से जुड़े होते हैं। प्रत्येक पैर को जांघ (Thigh), घुटना (Knee), पाँव (Foot) तथा तलवा (Sole) - इनमें विभाजित किया जाता है। दोनों पैरों में पाँच-पाँच अंगुलियाँ होती हैं, जिनके अग्रभाग में नाखून होते हैं। शरीर के प्रत्येक विभाग के प्रत्येक अंग का अपना विशिष्ट महत्त्व होता है। फिर भी तीन अंग अत्यधिक महत्त्वपूर्ण हैं, क्योंकि इनके बिना जीवन का अस्तित्व ही खतरे में पड़ जाता है। आधुनिक शरीर-विज्ञान में इन्हे Vital Organs कहा जाता है। ये अंग हैं – हृदय (Heart), फेफड़े (Lungs) एवं मस्तिष्क (Brain)। इनमें से हृदय एवं फेफड़े छाती में होते हैं, जबकि मस्तिष्क सिर में होता है। (2) शरीर के विविध अंग-तन्त्र ___ शरीर में अनेक तन्त्र होते हैं। प्रत्येक तन्त्र में अनेक अंग होते हैं। ये सभी अंग संगठित होकर कार्यविशेष में अपना-अपना योगदान देते हैं। (क) रक्तपरिवहन-तन्त्र (Cardiovascular System) - इस तन्त्र का सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण अंग हृदय होता है, जो छाती के बाएँ हिस्से में स्थित होता है। यह शुद्ध रक्त (ऑक्सीजन एवं विविध शरीरोपयोगी पोषक-तत्त्वों से युक्त रक्त) को महाधमनी (Aorta) के माध्यम से अन्य छोटी-छोटी धमनियों (Arteries) तक पहुँचाता है। ये धमनियाँ शरीर के प्रत्येक छोटे-बड़े अवयवों तक रक्त को प्रेषित करती हैं। अवयवों में स्थित कोशिकाएँ रक्त में से -Pulmonary artery | ऑक्सीजन आदि अवशोषित करके शिराओं (Veins) के माध्यम से अशुद्ध रक्त को पुनः हृदय तक पहुँचाती हैं। Aortic valve यह अशुद्ध रक्त हृदय के दाएँ हिस्से से शुद्धीकरण हेतु फेफड़ों तक जाता है, वहाँ से शुद्ध होकर हृदय के बाएँ हिस्से में आता है। इस प्रकार यह शरीर का रक्तपरिवहन-तन्त्र है। Superior vena cava -Aorta >To the lungs To the lungs Pulmonary valve From the lungs From the lungs ----- Left atrium Mitral valve Right atrium Tricuspid valve Right ventricle --- Left ventricle oxygenated blood Unoxygenated blood -- Interior vena cava - - Descending aorta 235 अध्याय 5: शरीर-प्रबन्धन Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003975
Book TitleJain Achar Mimansa me Jivan Prabandhan ke Tattva
Original Sutra AuthorN/A
AuthorManishsagar
PublisherPrachya Vidyapith Shajapur
Publication Year2013
Total Pages900
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size17 MB
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