SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 24
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ एक असाधारण उपलब्धि & मुझे यह जानकर हर्ष है कि परम श्रद्धेय मुनिश्री मनीषसागरजी महाराज साहब उनके शोध प्रबन्ध “जैन आचारमीमांसा में जीवन - प्रबन्धन के तत्त्व : एक तुलनात्मक अध्ययन" पर जैन विश्वभारती विश्वविद्यालय, लाडनूँ (राजस्थान) द्वारा जैन विद्या एवं तुलनात्मक धर्म दर्शन संकाय के अन्तर्गत पीएच.डी. की उपाधि से विभूषित किया गया है। यह और भी हर्ष का विषय है कि उपरोक्त शोध प्रबन्ध का प्रकाशन एक पुस्तक के रूप में सर्वसाधारण सह मनीषियों के अध्ययन एवं कल्याण हेतु प्रस्तावित है। Prof. (Dr.) Ravindra Jain M.Com (Gold Med.), Ph.D. (Busi. Mgt.), FDPM (IIM-A) Ex-V. C., Barkatullah University, Bhopal Chairman, Faculty of Mgt. Studies, Vikram Uni., Ujjain उपरोक्त एक शोध प्रबन्ध के अन्तर्गत लगभग एक दर्जन विषयों का समावेश श्रद्धेय मुनि मनीषसागरजी के श्रेष्ठ ज्ञानबल व तपोबल का द्योतक है । जीवनप्रबन्धन, शिक्षाप्रबन्धन, समयप्रबन्धन, शरीरप्रबन्धन, अभिव्यक्तिप्रबन्धन, तनावप्रबन्धन, पर्यावरणप्रबन्धन, समाजप्रबन्धन, अर्थप्रबन्धन, भोगोपभोगप्रबन्धन, धार्मिकव्यवहारप्रबन्धन, आध्यात्मिकविकासप्रबन्धन इनमें से प्रत्येक एक विचार या एक विषय से परे अब एक विषय समूह एवं एक पृथक् संकाय ( A Separate Discipline ) के रूप में तब्दील हो चुके हैं और इन सभी को एक साथ कलमबद्ध करके एक सूत्र में पिरोना एक असाधारण उपलब्धि है, जो कि जनसाधारण के जीवन को उत्तरोत्तर बेहतर बनाने हेतु श्रद्धेय मुनिश्री मनीषसागरजी की प्रतिबद्धता की द्योतक है। 12 अगस्त, 2012 उज्जैन (म.प्र.) XVI Jain Education International मुझे ऐसी भी अनुभूति होती है कि मुनिश्री अपने पुण्य संचय के प्रतिफल में उपरोक्त पुस्तक के माध्यम से सर्वसाधारण को अपना हिस्सेदार बनाना चाहते हैं। आशा है हम सब अधिक से अधिक लोगों को उपरोक्त ज्ञान आत्मसात् करने और अपना जीवन गौरवपूर्ण बनाने की दिशा में अभिप्रेरित करेंगे। - जीवन- प्रबन्धन के तत्त्व For Personal & Private Use Only रवीन्द्र जैन www.jainelibrary.org
SR No.003975
Book TitleJain Achar Mimansa me Jivan Prabandhan ke Tattva
Original Sutra AuthorN/A
AuthorManishsagar
PublisherPrachya Vidyapith Shajapur
Publication Year2013
Total Pages900
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size17 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy