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जीवन-प्रबन्धन एक बृहत्प्रक्रिया है, जिसके अनेक आयाम हैं। प्रस्तुत शोध-ग्रन्थ में जीवन-प्रबन्धन के ग्यारह प्रमुख आयामों से सम्बन्धित प्रबन्धन-सूत्रों का निरूपण किया जा रहा है। ये आयाम हैं - शिक्षा प्रबन्धन, समय-प्रबन्धन, शरीर–प्रबन्धन, अभिव्यक्ति (वाणी)-प्रबन्धन, तनाव एवं मनोविकार-प्रबन्धन, पर्यावरण-प्रबन्धन, समाज-प्रबन्धन, अर्थ-प्रबन्धन, भोगोपभोग-प्रबन्धन, धार्मिक-व्यवहार–प्रबन्धन एवं आध्यात्मिक-विकास (मोक्ष)-प्रबन्धन। इन सभी आयामों का सम्यक प्रबन्धन ही जीवन-प्रबन्धन की समग्रता है।
प्रत्येक जीवन-प्रबन्धक को चाहिए कि वह इन सभी आयामों पर कार्य करता हुआ जीवन को सन्तुलित, सुव्यवस्थित और सुसमन्वित करे, ताकि वह जीवन में सुख, शान्ति एवं आनन्द की संप्राप्ति कर सके।
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अध्याय 1 : जीवन-प्रबन्धन का पथ
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