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________________ 337 आदिपुराणगत उक्त तीनों श्लोकों में ध्यानशतक की गाथाओं का भाव तो पूर्णतया निहित है, साथ ही उनके प्राकृत शब्दों के संस्कृत रूपान्तर भी ज्यों के त्यों लिए गए हैं। आदिपुराण में आगे ध्याता, ध्येय, ध्यान, फल की चर्चा 137 के साथ-साथ प्रशस्त-ध्यान संसार–परिभ्रमण का निवारण हेतु आदि की भी चर्चा की गई है। 138 ज्ञान, दर्शन, चारित्र तथा वैराग्य -इन चारों भावनाओं का अलग-अलग रूप से निर्देश किया गया है। 139 इन्हीं चार भावनाओं का उल्लेख ध्यानशतक में धर्मध्यान के भावनाद्वार के अन्तर्गत किया गया है, इस सन्दर्भ में अधोलिखित गाथा तथा श्लोक में समानता नजर आती है - पुवकयब्मासो भावणाहि झाणस्स जोग्गयमुवेइ। ताओ य णाण-दंसण-चरित्त-वेरग्गजणियाओ।। - ध्यानशतक, 30 भावनाभिरसंमूढो मुनिया॑नस्थिरीभवेत्। ज्ञान-दर्शन-चारित्र-वैराग्योपगताश्च ताः।। - आदिपुराण, 21/95 इस सन्दर्भ में आदिपुराण के कर्ता जिनसेनाचार्य ने वाचना, पृच्छना, अनुप्रेक्षा और सद्धर्मदेशना को ज्ञानभावना का रूप माना है,140 जबकि ध्यानशतक के कर्ता जिनभद्रगणि क्षमाश्रमण ने इन्हें धर्मध्यान के आलंबनरूप माना है।141 3. धर्मध्यान - ध्यानशतककार ने धर्मध्यान के प्रसंग में ध्यानारूढ़ मुनि को उन सब बातों से अवगत करवाना आवश्यक समझा, जो ध्यान-साधना के लिए आवश्यक थीं। 136 प्रस्तुत संदर्भ-ध्यानशतक, प्र.सन्मार्ग अहमदाबाद, पुस्तक के ध्यानशतक का तुलनात्मक अध्ययन से उद्धृत पृ. 116 17 वज्रसंहनन कायमुद्वहन् .......धर्मध्यानस्य सुश्रुत।। - आदिपुराण, 21/85-103 138 प्रशस्तप्रणिधानं यत् स्थिरमेकत्र वस्तुनि। तद्ध्यान मुक्तं भुक्त्यंगा धर्म्य शुक्लमिति द्विधा।। -वही, 21/132 1139 समुत्सृज्य चिराभ्यस्तान् भावान् .......वैराग्यस्थैर्यभावनाः ।। - आदिपुराण, 21/94-99 140 वाचनापृच्छने सानुप्रेक्षण परिवर्तनम्। सद्धर्मदेशनं चेति ज्ञातव्या ज्ञानभावनाः ।। -वही, 21/96 1" आलंबणाई वायण-पुच्छण-परियट्टणाऽणुचिंताओ। सामाइयायाइं सद्धम्मावस्सयाइ च।। -ध्यानशतक, गाथा 42 Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003973
Book TitleJinbhadragani Krut Dhyanshatak evam uski Haribhadriya Tika Ek Tulnatmak Adhyayan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPriyashraddhanjanashreeji
PublisherPriyashraddhanjanashreeji
Publication Year2012
Total Pages495
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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