SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 656
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ दशाश्रुतस्कन्धसूत्र जीतकल्प व्यवहारनिर्युक्ति ओघनिर्युक्ति दशाश्रुनिर्युक्त मूलायार (मूलाचार) बृहत्कल्पभाष्य व्यवहारभाष्य बृहत्कल्पलघुभाष्य दशवैकालिक चूर्णी प्रवचनसारोद्धार अणगार धर्मामृत आचार विधि आचार - दिनकर (सं) आवश्यक विधि संग्रह 18. आचारांगसूत्र दशवैकालिकसूत्र दशाश्रुत स्कंधसूत्र बृहत्कल्पभाष्य आर्य भद्रबाहु आर्य भद्रबाहु (प्रथम) आर्य भद्रबाहु आर्य भद्रबाहु आर्यभद्र वट्टकेराचार्य संघदासगणि संघदासगणि संघदासगणि क्षमाश्रमण जिनदासगणि महत्तर नेमिचन्द्रसूरि पं. आशाधर Jain Education International अज्ञातकृत वर्धमानसूर सं. बुद्धिसागर भिक्षु - प्रतिमा कल्प - विधि पंचाशक भिक्षु - प्रतिमा कल्प विधि के माध्यम से अव्यवसायों की शुद्धि की जाती है । भिक्षु - प्रतिमा कल्प विधान पर श्वेताम्बर - दिगम्बर परम्परा में विपुल मात्रा में साहित्य उपलब्ध है। जिनमें कुछ प्रमुख ग्रन्थों की सूची निम्न है - कृति कृतिकार उपदेष्टा भगवान महावीर आ. शय्यंभव आर्य भद्रबाहु संघदासगण ई.पू. 3 शत ई.पू. 3 शत ई.पू. 2 ई.पू. 2 री शत 2 री शती लगभग 6 टी शती लगभग 6 टी शती लगभग 6 टी शती 6 टी शती 7 वीं शती For Personal & Private Use Only वि.सं. 1216 14 वीं शती वि.सं. 1352 वि.सं. 1463 20 वीं शती कृतिका ई.पू. 6 टी शती ई.पू. 4 थी शती ई.पू. 3 री शत 6 टी शती 634 www.jainelibrary.org
SR No.003972
Book TitlePanchashak Prakaran me Pratipadit Jain Achar aur Vidhi Vidhan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanakprabhashreeji
PublisherKanakprabhashreeji
Publication Year2013
Total Pages683
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Ritual, & Vidhi
File Size10 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy