________________
श्रमण-आवश्यक सूत्र
विधिसंग्रह
आवश्यक विधि संग्रह
निशीथसूत्र
बृहद्कल्पसूत्र
व्यवहारसूत्र
जीतकल्पसूत्र
16. प्रायश्चित्त विधि पंचाशक
चित्त शुद्धि के लिए प्रायश्चित अति आवश्यक है । प्रायश्चित विधि विधान के द्वारा साधक अपने आत्मा की शल्य चिकित्सा करता है । प्रायश्चित विधान से सम्बन्धित साहित्य प्रचुर मात्रा में उपलब्ध है, जिसकी सूची इस प्रकार से है
कृति
कृतिकार
दशाश्रुतस्कंधनिर्युक्ति
निशीथनियुक्ति
बृहत्कल्पनिर्युक्ति
व्यवहारनियुक्त
निशीथभाष्य
जीतकल्पभाष्य
बृहद्कल्पभाष्य
निशीथचूर्णि
बृहत्कल्पचूर्ण
महानिशीथसू
प्रायश्चित-ग्रन्थ
जीतकल्पबृहत्चूर्णी
संकलित
प्रमोदसागरसूर
सं. बुद्धिसागर
Jain Education International
आर्य भद्रबाहु
आर्य भद्रबाहु
आर्य भद्रबाहु
आर्य भद्रबाहु (प्रथम)
आर्यभद्र
आर्यभद्र
आर्यभद्र
आर्यभद्र
संघदासगण
जिनभद्रगणि
संघदासगण
जिनदासगणि महत्तर ( प्र . )
जिनदासगणि महत्तर
उद्धारक आ. हरिभद्र
महाकलंकदेव
सिद्धसेन सूरि
20 वीं शती
20 वीं शती
20 वीं शती
For Personal & Private Use Only
कृतिकाल
ई.पू. तीसरी शती
ई.पू. तीसरी शती
ई.पू. तीसरी शती
ई.पू. तीसरी शती
2 री शती
2 री शती
2 रीती
2 री शती
6 टी शती
6 टी शती
6 टी शती
7 वी शती
लगभग 7 वीं शती
8 वीं शती
8 वीं शती
लगभग 7 वीं शती
632
www.jainelibrary.org