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________________ शुश्रुषादि गुणों से युक्त हो, जिनभवन निर्माण की विधि का ज्ञाता हो और आगमों को अधिक महत्व देने वाला हो। जिनमन्दिर का निर्माण कराने की योग्यता वाला व्यक्ति जिनमन्दिर का निर्माण कराते समय उक्त गुणरूपी ऋद्धि से युक्त होने से उन गुणरूपी रत्नों (सम्यग्दर्शनादि) को अनेक जीवों को देकर उनका हित करते हुए अपना भी हित करता है। इस प्रकार अपने और दूसरों के हित के लिए जिन-मन्दिर बनवाने वाले व्यक्ति मे उक्त गुणों का होना आवश्यक है। ___ उस योग्य व्यक्ति को जिन-मन्दिर का निर्माण करवाते देखकर कुछ गुणानुरागी मोक्षमार्ग को प्राप्त करते हैं तथा दूसरे गुणानुरागरूप शुभपरिणाम से मोक्ष-प्राप्ति के बीजरूप सम्यग्दर्शन आदि को प्राप्त करते हैं। सर्वज्ञदेव द्वारा स्वीकृत जिनशासन के प्रति जो शुभभाव हैं, वे परिशुद्ध हैं और वे ही शुभभाव सम्यग्दर्शन का हेतु बनते हैं। इस विषय में एक चोर का दृष्टान्त है, जिसने फाँसी की सजा पाने के लिए जाते समय मुनियों की धार्मिक क्रियाओं को देखकर उनकी प्रशंसा की और भवान्तर में उसे बोधि की प्राप्तिरूप फल मिला। जिनभवन निर्माणविधि- जिनभवन-निर्माण में षट्काय जीवों का आरम्भ होता है, जो दोष-स्वरूप हैं, पर इन दोषों से भी बचने के उपाय हैं। जिनालय निर्माण कराने वाला जिनालय के लिए सर्वप्रथम शुद्ध भूमि का चयन करे तथा जिनालय के लिए उपयोग में आने वाली सामग्री की शुद्धि का पूर्ण ख्याल रखें एवं सावधानी के साथ विवेकपूर्ण निर्माण का कार्य करवाए, अनछाणा पानी का उपयोग न करे, रात्रि में कार्य न करवाए, मजदूरों को उनका पारिश्रमिक उदार हृदय से दें, जिससे उनमें भी जिन-धर्म के प्रति श्रद्धा उत्पन्न हो। इसी विषय को पुष्ट करते हुए आचार्य हरिभद्र जिनभवन निर्माणविधि पंचाशक की नौवीं गाथा में' कहते हैं1. शुद्धभूमि - जहाँ मन्दिर बनवाना है, वह भूमि निर्दोष होनी चाहिए। 2. दलशुद्धि - जिससे मन्दिर बनता है, वह काष्ठादि शुद्ध होना चाहिए। पंचाशक-प्रकरण - आचार्य हरिभद्रसूरि -7/9- पृ. - 118 182 Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003972
Book TitlePanchashak Prakaran me Pratipadit Jain Achar aur Vidhi Vidhan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanakprabhashreeji
PublisherKanakprabhashreeji
Publication Year2013
Total Pages683
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Ritual, & Vidhi
File Size10 MB
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