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प्रस्तुत शोधप्रबन्ध में वर्णित विषयों की सूची
1-64
प्रथम अध्याय : विषय प्रवेश - (अ) जैन साहित्य में आचार्य हरिभद्र और उनके पंचाशक प्रकरण का स्थान
और महत्त्व। (ब) आचार्य हरिभद्र की जीवनरेखा -
(1) जन्म, कुल परम्परा, गृहस्थजीवन एवं जैन परम्परा में दीक्षा और उनका मुनिजीवन।
(2) आचार्य हरिभद्र के व्यक्तित्व की विशेषताऐं। (स) आचार्य हरिभद्र का कृतित्त्व।
(1) आचार्य हरिभद्र के कृतित्त्व की बहु आयामिता । (2) आचार्य हरिभद्र की उपलब्ध कृतियाँ।
(3) आचार्य हरिभद्र की महत्वपूर्ण कृतियों का संक्षिप्त परिचय। (द) आचार्य हरिभद्र के पंचाशक प्रकरण का वैशिष्ट्य और उसकी विषय
वस्तु। (इ) . आचार्य हरिभद्र की समीक्षात्मक एवं समन्वयात्मक दृष्टि
65-225
द्वितीय अध्याय : आचार्य हरिभद्र की दृष्टि में मोक्षमार्ग - (अ) पंचाशक प्रकरण में मोक्षमार्ग के चार अंग
सम्यग्दर्शन
सम्यग्ज्ञान
3.
सम्यक्-चारित्र
सम्यक-तप (ब) सम्यग्दर्शन का अन्तरंग एवं बाह्य स्वरूप -
वक के कर्तव्य 2. चैत्यवन्दनविधि 3. पूजाविधि -द्रव्यपूजा और भावपूजा, द्रव्यपूजा क्यों करणीय है ?
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