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भी आत्मविश्वास का दीपक जलेगा, शोकरूपी अंधकार उसके अस्तित्व को छू न सकेगा, क्योंकि 'आत्मविश्वास ही सम्पूर्ण सफलताओं की जननी है।'
दृढ़ निश्चय से शोक पर विजय
दृढ़ - निश्चय के जागते ही सुप्त शक्तियाँ सक्रिय हो उठती हैं, जो निश्चित रूप से व्यक्ति के मन में छाई उदासी और शोकावस्था को समाप्त कर देती हैं । जब मन में लक्ष्य पाने की छटपटाहट हो, तो संकल्पशक्ति स्वतः ही संगृहीत और तीव्र हो जाती है, फिर उदासी और शोक का कोई स्थान नहीं होता । वह व्यक्ति लक्ष्य को प्राप्त कर ही विश्राम लेता है। यह संकल्पशक्ति सभी में समाहित है, आवश्यकता है, इसे जाग्रत करने की ।
साहस
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खुदी को कर बुलंद इतना, कि हर तकदीर से पहले खुदा बंदे से खुद पूछे, बता तेरी रजा क्या है ?
शोक के कारण व्यक्ति निरुत्साही - असहायी अपने-आपको मानता है, पर जो व्यक्ति साहसी, उत्साही होता है, वह कभी शोक नहीं करता । साहसी कभी हारते नहीं हैं, वे हर असफलता के बाद दोगुने साहस एवं चौगुने उत्साह के साथ अपने लक्ष्य की ओर आगे बढ़ते हैं। अब्राहम लिंकन सत्रह बार पराजित होने के बाद चुनाव में जीते और अमेरिका के राष्ट्रपति बने । साहस प्रतिकूल परिस्थितियों के बीच समाधान ढूंढ लेता है । जहाँ साहस की रोशनी है, वहाँ भय, चिन्ता, आशंका, थकान, निराशा, असफलता का कोई अस्तित्व नहीं । 'सर्व सत्त्वे प्रतिष्ठितम्' यदि आपमें सत्त्व है, हिम्मत है, साहस है, तो सब कुछ है, अन्यथा कुछ भी नहीं है । जहाँ साहस है, वहाँ सिद्धि है ।
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