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लड़का, जिसे गुस्सा बहुत आता था, एक दिन उसके घर में किसी ने उसे टोक दिया । लड़के को गुस्सा आ गया। संयोग से, उस दिन उसे परीक्षा देने जाना था, किंतु गुस्से में भरकर उसने निर्णय ले लिया कि मैं परीक्षा देने नहीं जाउंगा। सभी ने उसे समझाया, पर उसकी बुद्धि पर क्रोध के बादल मंडरा रहे थे, आवेश में आकर लिए गए निर्णय ने उसका पूरा वर्ष बेकार कर दिया ।
2. क्रोध हिंसा को भड़काता है
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क्रोध के भाव में व्यक्ति हिंसक हो जाता है। क्रोध में व्यक्ति दो रूपों में हिंसक हो जाता है। कभी वह औरों को नुकसान पहुंचाता है, तो कभी स्वयं को । औरों को नुकसान पहुंचाने के लिए वह गाली-गलौच करता है, हाथापाई करता है, अथवा किसी पर शस्त्र से प्रहार भी कर देता है । क्रोधावस्था में मनुष्य राक्षस की तरह भयंकर बन जाता है, 74 लेकिन कई बार व्यक्ति इसका उल्टा भी कर लेता है । क्रोध में आकर वह अपना ही सिर दीवार से टकरा देता है, भोजन कर रहा है तो भोजन की थाली उठाकर फेंक देता है। अहमदाबाद के मोहल्ले में बनी हुई सत्य दुर्घटना - नल के पानी के लिए दो स्त्रियों के बीच झगड़ा हुआ। दोनों एक-दूसरे को अपशब्द बोलीं, मामला बिगड़ गया, एक स्त्री अपने पूरे शरीर पर घासलेट डालकर और आग स्वयं को आग लगाकर आ गई और स्वयं जलती हुई उस दूसरी स्त्री से लिपट गई तथा कहने लगी – मैं तो जल रही हूं, लेकिन तुझे भी जलाकर जाऊँगी। दूसरी स्त्री ने छूटने का बहुत प्रयास किया, अंततः दोनों जलकर खाक् हो गयीं। 75 वर्त्तमान में क्रोध और तद्जन्य द्वेष के कारण राष्ट्र - राष्ट्रों में युद्ध और हमले हो रहे हैं। हिन्दू-मुसलमान छोटे-छोटे मामलों में भड़क उठते हैं और क्रोधातुर होकर हिंसा का ताण्डव समाज में फैलाते हैं ।
74 कोवेण रक्खसो वा णराण भीमों णरो हवदि । भगवती आराधना 1361
7s दीप बुझा ज्योति जलाकर, सा. सुयशेन्द्राश्री जी, पृ. 83
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