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जैन दर्शन की संज्ञा की अवधारणा का समीक्षात्मक अध्ययन
अध्याय - 5 परिग्रह संडा .
1. परिग्रह का स्वरूप एवं लक्षण 2. जैन दर्शन में परिग्रह के प्रकार 3. परिग्रह या संचयवृत्ति के दुष्परिणाम 4. जैन दर्शन में परिग्रह वृत्ति के नियंत्रण के उपाय - परिग्रह
परिमाण व्रत 5. परिग्रह वृत्ति के विजय के संबंध में गांधीजी का ट्रस्टीशिप का
सिद्धांत 6. धन अर्जन की वृत्ति एवं धनसंचय की वृत्ति में अंतर 7. ममत्ववृत्ति का त्याग एवं समत्ववृत्ति का विकास
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