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________________ 168 काम संप्राप्त (संयोगजन्य-काम) 14 प्रकार असंप्राप्त (विप्रयोग-काम) 10 प्रकार संयोग-काम के 14 भेद - 1. दृष्टिसंपात - स्त्री के विकारवर्द्धक अंगों का अवलोकन करना। 2. दृष्टिसेवा - हाव-भाव से युक्त दृष्टि मिलाना। 3. संभाषण - कामवर्द्धक वार्तालाप करना। हसित - व्यंग्यपूर्वक मधुर-मधुर मुस्कुराना। 5. ललित - पासा आदि खेलना। 6. उपगूढ़ - कसकर आलिंगन करना। 7. दंतपात - दन्तक्षत करना। 8. नखनिपात - नख आदि से घात करना। 9. चुम्बन - चूमना। 10.आलिंगन - स्पर्श करना। 11.आदान - काम–अंगों को रागवश स्पर्श करना। 12.करण - कामुक शारीरिक-स्थितियाँ बनाना। 13.आसेवन - मैथुन-क्रिया का आस्वादन लेना। 14.अनंगक्रीड़ा - वासनाप्रधान चित्र आदि देखना तथा अप्राकृतिक विकृत और उच्छृखल यौनाचार में रुचि रखना। विप्रयोगजन्य काम के दस भेद 1. अर्थ - स्त्री की अभिलाषा करना। किसी स्त्री की सौन्दर्य कथा सुनकर उसे पाने की इच्छा करना, जैसे-पद्मनाभ राजा का द्रोपदी के रुप के विषय में सुनकर उसे प्राप्त करने के लिए आतुर हो जाना। Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003971
Book TitleJain Darshan ki Sangna ki Avdharna ka Samikshatmak Adhyayan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPramuditashreeji
PublisherPramuditashreeji
Publication Year2011
Total Pages609
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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