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स्त्री-सुख को पाने के लिए अपनी संयम की उत्कृष्ट साधना का भी सर्वनाश करने के लिए तैयार हो गए। प्रश्नव्याकरणसूत्र में कहा गया है कि धर्म और संयमादि गुणों में निरत ब्रह्मचारी पुरुष भी मैथुनसंज्ञा के वशीभूत होकर क्षणभर में चारित्रसंयम से भ्रष्ट हो जाता है। काम-सम्बन्धी चर्चा करने से -
मैथुन-संज्ञा की उत्पत्ति का तीसरा प्रमुख कारण काम-सम्बन्धी चर्चा करना है। काम का एक अर्थ कामना अर्थात इच्छा (Desire) है और उसका दूसरा अर्थ है - यौन सम्बन्ध (Sex), काम-ऊर्जा मनुष्य के पास ऐसी शक्ति है, जो दूसरे के प्रति गतिमान हो, तो यौन सम्बन्ध (Sex) बन जाती है। ऊर्जा एक है, मात्रा तथा दृष्टिभेद से सारा जीवन भिन्न हो जाता है। जिस प्रकार किसी के कटु शब्द जीवनभर याद रहते हैं, उसी प्रकार किसी सुन्दर स्त्री का रुप–सौन्दर्य, अथवा उसके मधुर शब्दों के बारे में जब हम चर्चा करते हैं, तो उस स्त्री के प्रति कामवासना जाग्रत हो जाती है। व्यक्ति उस रूप को देखने और शब्द को सुनने के लिए कामातुर हो जाता है और पुनः-पुनः उस रूप का पिपासु बना रहता है एवं वासना को पुष्ट करता रहता है।
आचारांगसूत्र में कहा गया है कि जो काम-गुण है, इन्द्रियादि के शब्दादि विषय है, वे ही आवर्त या संसारचक्र हैं। ये विषयातुर मनुष्य ही दूसरे को उसी प्रकार परिताप देते हैं। जिस प्रकार अमरकंका नगरी का राजा पद्मराज नारदजी के मुख से द्रौपदी के सौन्दर्य की चर्चा सुनकर कामातुर बन गया और देव की सहायता से द्रौपदी का अपहरण कर उसे अपने महल में लेकर आ गया। आधुनिक युग में भी कॉलेजों का सहशिक्षण, स्वतंत्र जीवन, टी.वी. वीडियो और ब्लू फिल्मों के देखने
27 प्रश्नव्याकरणसूत्र - 4/90 28 1) जे गुणे से आवट्टे, जे आवटे से गुणे - आचारांगसूत्र 1/1/5
2) आतुरा परिताति, - वही, 1-1-6 अ) स्थानांगसूत्र - 10/160 ब) प्रवचन-सारोद्धार - आश्चर्यद्वार 138
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