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सोच कोशिश पैदा करती रहती है, और यह चिन्ता - कल्पना ही Worry, Tention आदि का रूप ले लेती है। 24
पशु या अन्य जीव भय की स्थिति में पहले पलायन की कोशिश करेगा, अन्यथा आक्रमण कर देगा । किन्तु भय की स्थिति में मानव दूसरे लोगों की इच्छानुसार चलेगा और स्वयं की प्राथमिकता त्याग देगा । आधुनिक मनोविज्ञान के अनुसार किसी व्यक्ति के डर को हम इन लक्षणों से पहचान सकते हैं
चेहरे के हावभाव (Facial Expression),
आँखें खुली रह जाना,
भौंहे तन जाना,
ओंठ खुले रह जाना,
कुछ बोलने में असमर्थ होना ।
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सामान्यतः, शारीरिक परिवर्तनों को ही भय माना जाता है, जबकि उसके पीछे मानसिक और आध्यात्मिक - कारण भी हैं । भय के शारीरिक लक्षण निम्न हैं
1. पसीना आ जाना ।
2. पलकें झपकाना या शरीर में रोमांच होना ।
3. माँसपेशियाँ तन जाना ।
4. चोट लगने के डर से अनायास ही अपना चेहरा या सिर ढंक लेना । 5. अचानक भय की स्थिति में आदमी का उछल पडना है या उसके मुँह से चीख निकल जाना । जैसे- छिपकली अचानक हमारे शरीर पर गिरती है, तो डर के कारण चीख निकल जाती है और हृदय की धड़कनें तीव्र हो जाती हैं।
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जैनदर्शन के अनुसार, भयसंज्ञा केवल मनुष्यों में ही नहीं, वरन् जगत् के प्रत्येक प्राणी में व्याप्त है । कल तक यह बात केवल शारीरिक- आचार से ही मानी थी, लेकिन आज आधुनिक विज्ञान इस तथ्य को अपने यंत्रों से भी सिद्ध करते हैं। वैज्ञानिकों ने अब ऐसे सूक्ष्म यंत्र भी विकसित कर लिए हैं जो हमारे भीतरी भावों
24 चरममंगल (हिन्दी मासिक पत्रिका), फरवरी 2008, पृ. 22
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