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ग्रस्त भी हो जाता है। अमेरिका के नोबल पुरस्कार विजेता डॉ. माइकल ब्राउन और डॉ. जोसेफ गोल्डस्टीन ने अनेक प्रयोगों एवं परीक्षणों के बाद यह निष्कर्ष निकाला है कि मांसाहार करने वालों में हृदयरोग, चर्मरोग, पथरी आदि बीमारियों की सर्वाधिक संभावना रहती है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (W.H.O.) के बुलेटिन संख्या-637 के अनुसार मनुष्य के शरीर में लगभग 160 बीमारियाँ मांस भक्षण से प्रविष्ट होती है।
शाकाहारी व्यक्ति बीमार होने पर शीघ्र स्वस्थ हो जाते हैं, किन्तु मांसाहारी में रोग प्रतिरोधी-शक्ति कम होने से वे शीघ्र स्वस्थ्य नहीं हो पाते हैं। इस संदर्भ में कुछ प्रसिद्ध डॉक्टरों के कथन उल्लेखित हैं -
"शाकाहार से शक्ति उत्पन्न होती है, मांसाहार से केवल उत्तेजना उत्पन्न होती है। परिश्रम के अवसर पर मांसाहारी जल्दी थक जाता है। अफीम, कोकीन, शराब की भांति मांस भी नशीली चीज है।" - डॉक्टर हेग, 'डाइट एण्ड फूड' पुस्तक से।
"शाकाहार का भक्षण करने वाले प्राणियों को टाइफाइड बहुत कम होता है।" - डॉ. शिरमेट (अमेरिका)
"जहाँ मांसाहार जितनी कम मात्रा में होगा, वहाँ कैंसर जैसी भयानक बीमारियाँ कभी नहीं होंगी।" - डॉ. रसेल, ‘सार्वभौम भोजन' पुस्तक से।
"जिन बच्चों को बचपन से मांस खिलाया जाता है, वे बड़े होने पर सुस्त, आलसी, भोंदू और दुर्बल होते हैं, अतः बच्चों के लिए दूध, सब्जी और अन्न ही सर्वोत्तम व पौष्टिक आहार है।" - डॉ. क्लाडर्सन
शाकाहार-सम्पोषक डॉ. नेमीचंद जैन ने इस प्रकार के अनेक संदर्भ और उदाहरण दिए हैं कि मांसाहारियों में अनेक प्रकार के घातक रोग होते हैं। जहाँ, जिस देश में जितना अधिक मांसाहार का सेवन किया जाता है, वहाँ रोगों का उतना ही भयानक आक्रमण होता है। मांसाहार शारीरिक, मानसिक, आध्यात्मिक, नैतिक आदि कारणों से ग्रहण करना ठीक नहीं है। एक प्राणी दूसरे प्राणी को मारे और फिर उस प्राणी को खाता है, यह बात निश्चित ही बड़ी अजीब लगती है। भला,
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