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असमर्थ हो जाता है, उसी प्रकार राग-द्वेष रूपी पंखों के कट जाने पर, उनके नष्ट हो जाने पर मन रूपी पक्षी भी उपद्रव करने अथवा बाह्य पदार्थो में इष्ट-अनिष्ट बुद्धि करके उनकी प्राप्ति व परिहार के लिए पापाचरण करने में असमर्थ हो जाता है।
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95 ज्ञानार्णव - रागादिनिवारणम् - आ. शुभचन्द्र
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