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अध्याय-6 त्रिविध साधना मार्ग और तनाव प्रबंधन
जैनदर्शन मोक्ष की प्राप्ति के लिए त्रिविध साधना मार्ग प्रस्तुत करता है। यही त्रिविध साधना मार्ग तनावमुक्ति का मार्ग भी प्रस्तुत करता है। यह त्रिविध साधना मार्ग तनावमुक्ति का भी महत्वपूर्ण उपाय है। तत्त्वार्थसूत्र के प्रारम्भ में ही कहा गया है –“सम्यग्दर्शन, सम्यक्चारित्र, सम्यग्ज्ञान मोक्षमार्ग हैं। वस्तुतः मोक्ष तनावमुक्ति की अवस्था है क्योंकि आचार्य कुन्दकुन्द ने कहा है कि मोह और क्षोभ से रहित आत्मा की समत्वपूर्ण अवस्था ही मोक्ष है (मोह खोह विहीणो अप्पणो समोमोखनिद्दिष्टो)। त्रिविध साधना मार्ग से मोक्ष की प्राप्ति हो सकती है और मोक्ष ही तनावमुक्ति की अवस्था है, इससे यह भी सिद्ध होता है कि मोक्ष-मार्ग तनावमुक्ति का मार्ग है।
बौद्धदर्शन, गीतादर्शन और पाश्चात्यदर्शन में भी इस त्रिविध साधना-मार्ग के उल्लेख मिलते हैं। त्रिविध साधना-मार्ग के विधान से जैन, बौद्ध, वैदिक परम्परायें तथा पाश्चात्य चिन्तक भी सहमत हैं। यदि मोक्ष की प्राप्ति सम्यग्दर्शन, सम्यग्ज्ञान और सम्यक्चारित्र से सम्भव है, तो फिर तनावमुक्ति भी इस त्रिविध साधना मार्ग से ही मानना सम्भव होगा। उत्तराध्ययनसूत्र में कहा गया है कि दर्शन (सम्यक्श्रद्धान) के बिना ज्ञान नहीं होता और जिसमें ज्ञान नहीं है, उसका आचरण भी सम्यक् नहीं होता और सम्यक आचरण के अभाव में आसक्ति से मुक्ति भी सम्भव नहीं है और जो आसक्ति से मुक्त नहीं उसका निर्वाण भी नहीं होता है। जैनदर्शन में अनुसार तनावयुक्त होने का मूल कारण रागात्मकता या आसक्ति है। अतः जब तक आसक्ति नहीं टूटेगी तब तक तनाव
'तत्त्वार्थसूत्र -9/9 'जैन,बौद्ध और गीता के आचारदर्शनों का तुलनात्मक अध्ययन, पृ. 13 'उत्तराध्ययनसूत्र -28/30
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