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________________ क्रमांक नाम 1 2 3 4 5 6 7 8 9 10 11 12 13 ग्रन्थि से संबंध गोनाडस (कामग्रन्थि) शक्ति केन्द्र स्वास्थ्य केन्द्र गोनाडस (कामग्रन्थि) तैजस केन्द्र एड्रीनल, पेन्क्रियाज आनंद केन्द्र थायमस Jain Education International थाइराइड, पेराथाइराइड रसनेन्द्रिय विशुद्धि केन्द्र ब्रहा केन्द्र प्राण केन्द्र घ्राणेन्द्रिय चाक्षुष केन्द्र चक्षुरिन्द्रय अप्रमाद केन्द्र श्रोत्रेन्द्रिय दर्शन केर्छ पिच्यूटरी ज्योति केन्द्र पायनियल शांति केन्द्र हायपोथेलेमस ज्ञान केन्द्र कोर्टेक्स 53. प्रेक्षा- ध्यान, चैतन्य केन्द्र प्रेक्षा पृ. 23 स्थान पृष्ठ-रज्जु के नीचे के छोरपर For Personal & Private Use Only पेडू ( नाभि से चार अंगुल नीचे नाभि ) नाभि हृदय के पास बिल्कुल बीच में कण्ठ के मध्य भागमें जिहाग्र विधि : - चैतन्य केन्द्र प्रेक्षा का प्रारम्भ शक्ति केन्द्र की प्रेक्षा से किया जाता है । फिर क्रमशः स्वास्थ्य केन्द्र, चाक्षुष केन्द्र से ज्ञान केन्द्र की प्रेक्षा की जाती है। प्रत्येक केन्द्र पर चित्त को केन्द्रित कर वहाँ होने वाले प्राण के प्रकम्पनों का अनुभव किया जाता है। प्रारम्भ में प्रत्येक केन्द्रों पर दो से तीन मिनट का ध्यान किया जाता है। 203 नासाग्र आँखों के भीतर कानों के भीतर भृकुटियों के मध्य ललाट के मध्य में मस्तिष्क का अग्र भाग सिर के ऊपर का भाग www.jainelibrary.org
SR No.003970
Book TitleJain Dharm Darshan me Tanav Prabandhan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTrupti Jain
PublisherTrupti Jain
Publication Year2012
Total Pages387
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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