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________________ इनमें प्रथम तीन अशुभ व अन्तिम तीन शुभ मानी गई हैं। 1. कृष्ण लेश्या . SION इस अशुभतम मनोभाव से युक्त व्यक्तित्व के निम्न लक्षण पाए जाते हैं जो उसे तनावयुक्त बनाते हैं 1. व्यक्ति अपनी शारीरिक, मानसिक एवं वाचिक क्रियाओं पर नियन्त्रण नहीं कर पाता है । 2. भोग-विलास में आसक्त हो, वह उनकी पूर्ति के लिए हिंसा, असत्य, चोरी आदि दुष्कर्म करता है। 3. अपने स्वार्थ के लिए दूसरों का बड़े-से-बड़ा अहित करने में वह संकोच नहीं करता। ऐसा व्यक्ति क्षण भर के लिए भी शांति का अनुभव नहीं करता है। 2. नील लेश्या यह मनोभाव पहले की अपेक्षा कुछ ठीक होता है, लेकिन होता अशुभ ही है। उत्तराध्ययन के अनुसार ऐसा व्यक्ति ईर्ष्यालु, असहिष्णु, असंयमी, अज्ञानी, कपटी, निर्लज्ज, लम्पट, द्वेष - बुद्धि से युक्त, रसलोलुप एवं प्रमादी होता है | 100 3. कपोत लेश्या यह भी अशुभ मनोवृत्ति ही है । इस मनोभाव वाले के निम्न लक्षण पाए जाते हैं 101 1. व्यक्ति का व्यवहार मन, वचन, कर्म से एकरूप नहीं होता । 2. उसकी करनी और कथनी भिन्न होती है । 3. मन में कपट और अहंकार होता है। 153 - Jain Education International 34/21-22 99 उत्तराध्ययनसूत्र 100 उत्तराध्ययनसूत्र 34/23-24 101 उत्तराध्ययनसूत्र – 34/25-26 - - For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003970
Book TitleJain Dharm Darshan me Tanav Prabandhan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTrupti Jain
PublisherTrupti Jain
Publication Year2012
Total Pages387
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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