SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 160
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ 143 अनन्तानुबन्धी मान - विनयवान व्यक्ति ही तनावमुक्त होता है। अनन्तानुबन्धी मान वाले व्यक्ति में विनयगुण नाम मात्र को भी नहीं रहता है। पत्थर के खम्बे के समान जो झुकता नहीं, चाहे टूट जाए, उसमें विवेक, करूणा, स्नेह आदि गुण नहीं होते हैं, वह व्यक्ति अनन्तानुबन्धी मान कषाय से युक्त होता है। विवेक शून्य होने के कारण वह आजीवन तनावों से ग्रस्त बना रहता है और साथ ही साथ मान के वशीभूत होकर ऐसे कर्म करता है, जिसके परिणामस्वरूप भविष्य में भी तनावग्रस्त ही रहता है। अप्रत्याख्यानी मान - जो मान आजीवन तो नहीं, किन्तु लम्बे समय तक व्यक्ति को तनावयुक्त रखता है, उसे अप्रत्याख्यानी मान कहते हैं। अप्रत्याख्यानी मानं जीवित व्यक्ति की हड्डी के समान होता है जो विशेष प्रयत्न करने पर ही लम्बे समय के बाद झुकती है, टूटती नहीं है। बाहुबली को लम्बी तपस्या करने के पश्चात् भी केवलज्ञान प्राप्त नहीं हुआ, किन्तु जब बाह्मी व सुन्दरी ने आकर उद्बोधन दिया कि भाई मान रूपी हाथी से नीचे उतरो, तो बाहुबली ने मान कषाय का त्याग कर केवलज्ञान प्राप्त किया। प्रत्याख्यानी मान – बांस के छिलके के समान जो सामान्य प्रयत्न से भी झुक जाए उसे प्रत्याख्यानी मान कहते हैं। प्रत्याख्यानी मान चेतना की वह स्थिति है, जिसमें अहंभाव का उदय तो होता है, किन्तु व्यक्ति की चेतना उससे प्रभावित नहीं होती। व्यक्ति उससे जुड़ता नहीं है और इस कारण से प्रत्याख्यानी कषाय के उदय होने पर तनाव में किसी प्रकार की तीव्रता नहीं होती। संक्षेप में कहें तो इस अवस्था में स्वाभिमान तो रहता है, पर अभिमान नहीं रहता, व्यक्ति में मूल्यात्मक चेतना प्रसुप्त नहीं होती है। संज्वलन मान - संज्वलन कषाय चेतना की वह स्थिति है, जिसमें - अवचेतन स्तर पर कषाय की सत्ता तो होती है, किन्तु उसकी अभिव्यक्ति नहीं. " सेलथंभसमाणं माणं अणुपविढे जीवे काल करेइ षोरइएसु उववज्जति – स्थानांगसूत्र, 4/2 Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003970
Book TitleJain Dharm Darshan me Tanav Prabandhan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTrupti Jain
PublisherTrupti Jain
Publication Year2012
Total Pages387
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy