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रोम रोम रस पीजे : ललितप्रभ
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स्वास्थ्य शरीर के लिए स्वास्थ्य का अर्थ है, शरीर के धर्म में शरीर स्थिर हो जाये। स्वास्थ्य का भीतरी अर्थ तो स्व-स्थ/अात्मस्थ होना है।
प्रेम की झील में हँस ही गति कर सकता है।
हक
प्रेम और खैर जिन्दों का हक है, मुर्दो का हक सिर्फ कफन है।
हार-जीत __ जहाँ विजय का भाव ही समाप्त हो जाता है, वहाँ हार कहाँ।
हिंसा किसी भी प्राणी की हत्या परमात्मा की आभा का इंकार है।
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