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सर्जन-संहार
एक वृक्ष से माचिस की लाखों दियासलाइयाँ बन सकती है, पर लाखों वृक्षों को जलाने के लिए एक दियासलाई ही काफी है ।
रोम रोम रस पीजे : ललितप्रभ
जो स्व का ज्ञाता है, वही सर्वज्ञ है ।
सर्व-दर्शन
स्वयं में सबको देखना और सबमें स्वयं को निहारना मानवता की आत्म-कथा है ।
सर्वज्ञ
सर्वात्मदर्शन
परमात्मा की सम्भावना हर मनुष्य में है । स्वयं की तरह दूसरों में भी परमात्मा की सम्भावनाओं को स्वीकार करने वाला जीवन के हर कदम पर परमात्मा की सेवा करता है ।
प्राणी मात्र में श्रात्मा को स्वीकार करने वाला ही हिंसा की हृदय से उपासना कर सकता है ।
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