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रोम रोम रस पीजे : ललितप्रभ
नेकी/बदी
नेकी करें, बदी से टलें — अगर जीवन को प्रेम के
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फूलों से भरना हो ।
पड़ौसी से पुत्र जैसा ही प्यार करें ।
परानन्दा
किसी दूसरे की ओर अंगुली उठाने से पहले जरा ये देखो, शेष तीन अंगुलियां किधर हैं ।
पडौसी
परमात्म-खोज
मात्र पढ़-सुनकर की जाने वाली परमात्मा की खोज अधूरी है । खोज हृदय से पूरी होती है, बुद्धि के पांडित्य से नहीं ।
परमात्म-प्रेम
परमात्मा उसी का है, जिसके हृदय में परमात्मा के लिए प्रेम है ।
परमात्म-भूमिका
शरीर परमात्मा का मन्दिर है और आत्मा की विशुद्धता परमात्मा की पूर्व - भूमिका है ।
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