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रोमा रोम रसा. पीजे मलितप्राम
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निर्ग्रन्थ । जो बाहरी और आन्तरिक बन्धना के कारणों को छोड़कर स्वयं की यात्रा में लगा है, वह निर्ग्रन्थ है।।
निलिप्तता संसार में वैसे ही निलिप्त रहो,' जैसे कीचड़ में
कमल ।
निर्वाण-पथ मुक्ति का प्रयास उस संसार से अलगाव है, जिसका निर्माण एवं सिंचन मनोकेन्द्र से सम्बद्ध है। स्वयं को वासना रहित करते हुए विराट होने का प्रयास ही जीवन में निर्वामिण की बागवानी है।
निवास हमारा निवास वहाँ हो, जहाँ सुबह उठते ही मंदिर का घंट सुनाई दे, और रात को सोते समय भगवान के भजन ।
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निश्छलता बच्चो-सी निश्छलता: पारमात्मा के राज्य का प्रवेश द्वार है।
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