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रोम रोम रस पीजे : ललितप्रभ
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अध्ययन अच्छी पुस्तकों का अध्ययन महापुरुषों से सीधा वार्तालाप है।
अनश्वर-पहल मनुष्य को अपने शरीर के नश्वर होने से पूर्व अनश्वरता के लिए पहल करनी चाहिये ।
अनुद्विग्नता जीवन में उतार-चढ़ाव आना स्वाभाविक है, लेकिन विपरीत स्थितियों से खुद को अनुद्विग्न रखना साधना की आधार भूमिका है।
अनुशासन अनुशासन किसी मर्यादा विशेष का आरोप नहीं है, अपितु वह जीवन की व्यवस्था है। अनुशासन स्वयं पर 'स्वयं' का नियमन है। साधुता आत्म-नियंत्रण की ही अपर स्थिति है।
अन्तर-जागरुकता अन्तर-जागरुकता को आत्मसात् करना जीवन की देहरी पर दशहरे का त्यौहार है।
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