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सम्बोधि ध्यान
शाम को प्रसन्न हृदय के साथ सम्बोधि-ध्यान में प्रवेश कीजिये। पहले खुलकर मुस्कुराइये, ताकि मानसिक तनाव और बोझ हल्का हो जाए।
प्रथम चरण : दृष्टि को नासाग्र पर केन्द्रित कीजिये और अपने आभामंडल को पहचानिये।
द्वितीय चरण : सांस पर ध्यान केन्द्रित कीजिये। स्वयं को सबसे अलग करते हुए तटस्थ भाव से अपनी वृत्तियों की प्रेक्षा/विपश्यना कीजिये और उनसे मुक्तहो जाइये।
तृतीय चरण : नाभि पर ध्यान केन्द्रित कीजिये। शरीर के अधोभाग में प्राणों का धीरे-धीरे संचार कीजिये और पुनः नाभि पर आइये।
चतुर्थ चरण : गहरे श्वास-प्रश्वास के द्वारा ऊर्जाकुंड/कुंडलिनी को जगाइये और नाभि, हृदय, कंठ के क्रमिक स्पर्श का अहसास करते हुए मस्तिष्क के अग्रभाग पर ऊर्जा का समीकरण कीजिये।
पंचम चरण : शरीर को शिथिल छोड़ते हुए स्वयं में अन्तर्लीन हो जाइये। आनंद एवं अहोभाव में डूब जाइये।
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