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जिएं जीवन-का दर्शन
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यह जीवन एक गहरा रहस्य है। समस्या और रहस्य में काफी फर्क है। समस्या तो वो होती है जिसका कहीं-नकहीं, कोई-न-कोई अन्त होता है और रहस्य वो होता है जिसे न तो ज्ञेय बनाया जा सकता है और न जिसकी सीमा ढूढी जा सकती है। इसलिए रहस्य अनन्त है, अन्तहीन खोज है। जीवन समस्या नहीं, रहस्य है। रहस्य को समस्या मान लेना ही अज्ञान है।
जीवन ऐसा रहस्य है जिसमें केवल जिया जा सकता है। न तो किताबों से और न ही किसी मार्गदर्शक से इसमें डूबा जा सकता है। जीवन को तो व्यक्ति खुद ही जीकर समझता है।
जिन खोजा तिन पाइयां, गहरे पानी पैठ, मैं बौरी बूड़न डरी, रही किनारे बैठ ।
जीवन को समझने का एकमात्र आधारसूत्र यही है कि तुम कितने गहरे तक पैठ रहे हो। यहां ऊपर-ऊपर जीने से कुछ नहीं मिलता। ऊपर-ऊपर जीने से तो जीवन समस्या बन कर रह जाएगा। जीवन के भीतर उतरिये, अन्तर्जगत में पैठिये तो जीवन से बढ़कर रहस्य और कोई हो नहीं सकता। रहस्यों को केवल जीकर समझा जा सकता है। जितना जियोगे, रहस्य की गहराइयां उतनी ही आत्मसात करते चले जाओगे। इसके विपरीत यदि ऊपर-ऊपर ही घूमते रहे तो सागर तक चले तो जानोगे मगर खाली हाथ ही लौटोगे।
कोई आदमी सागर तक जाकर आ जाए और कहे कि 'मैंने सागर देख लिया है', वह झूठ बोलता है। उसने सागर
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