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________________ जिएं जीवन-का-दर्शन टिके हुए हैं। अगर वह जमीन छोड़ देगा तो जाएगा कहां, तारे कोई एक-दो किलोमीटर दूर तो है नहीं कि गए और तोड़ लिए। आदमी अपने आसपास बिखरे तारे नहीं देख पाता, चकाचौंध के पीछे भागता है। जर्मी बेंथैम ने लिखा है-'प्रादमी तारों को पकड़ने के लिए हाथ फैलाता है और अपने ही कदमों में उगे हुए फूलों को भूल जाता है।' रोशनी की मूल सम्भावना तो व्यक्ति में है, व्यक्ति के व्यक्तित्व में है। यह मानवता के साथ भूल ही कही जाएगी, जहां व्यक्ति से रोशनी तो दूर कर दी गई है और उसे अन्धेरे में ला खड़ा किया है। एक बात ध्यान रखो कि अगर कहीं और रोशनी है तुम्हारे पास भी है। अगर तुम्हारे पास रोशनी नहीं है तो कम से कम तुम्हारे लिए तो कहीं भी रोशनी नहीं है। दर्शन रोशनी है। एक धार्मिक होने का अर्थ यह कतई नहीं है कि तुम परलोक के प्रति विश्वासी हो या नहीं। यदि धर्म को मात्र संन्यस्त जीवन से ही जोड़ने का प्रयास करेंगे या मोक्ष या निर्वाण के लिए यह कहेंगे कि बगैर साधु-मुनि बने मुक्ति नहीं हो सकती, तो यह धर्म और मुक्ति का सार्वजनिकता का दमन होगा। अब कोई सारा संसार तो संन्यासी होने से रहा। सभी लोग साधु बन कर जंगल में नहीं बैठ सकते और अगर बैठ गए तो दुनिया में कोई जंगल बचेगा ही नहीं। तब तो जंगलों में भी शहर बन जाएंगे। हमने जो धर्म का स्वरूप बना रखा है उसे पालन करना तो हर किसी के बस की बात नहीं रही है। जो रिटायर्ड लोग हैं, वे भले ही उसे पाल लें, फिर बच्चे और जवान कहां जाएंगे, Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003967
Book TitleBhagwatta Faili Sab Aur
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandraprabhsagar
PublisherJityasha Foundation
Publication Year1991
Total Pages116
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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