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भगवत्ता फैली सब प्रोर
देखा ! व्यक्ति जानता है कि यदि जहाज रास्ते में खराब हो भी जाए तो भी उसे नीचे उतरकर धक्का नहीं लगाना पड़ेगा, मगर चूंकि वह 'दूध से जला हुआ है, इसलिए छाछ को भी फूंक-फूंककर पीना चाहता है । यह अनुभवों का शास्त्र है ।'
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यह साधक जंगलों के
विज्ञान में जितना महत्व प्रयोग का है, अध्यात्म में उतना ही महत्त्व अनुभव का है। विज्ञान के प्रयोग अनुभव हैं और अध्यात्म के अनुभव प्रयोग । उसी अनुभूति की गहराई में एक साधक डूबा हुआ है । बीच गुफा में बैठा है और वहां से अपने भीतर की आवाज हमारे लिए हवा के मार्फत भेज रहा है। एक ऐसी अनुभूति जो शायद एक साधक के लिए जन्म-जन्मान्तर की अनुभूति हो सकती है । हम जिस साधक की बात कर रहे हैं वे अनुभवों की खान हैं । ऐसा साधक शायद ही कोई हुआ होगा । ये साधक हैं अध्यात्म की गहराइयों में उतरने वाले कुकु
कुन्दकुन्द की गहराइयां इतनी हैं कि हम उसे किसी भी सम्प्रदाय या मत-मजहब से पार नहीं कर सकते । उस साधक के साथ सबसे बड़ा अन्याय यही हुआ कि उसे एक मत-मजहब के साथ बांध दिया गया जो आदमी अध्यात्म में जीता है, भला वह किसी सम्प्रदाय का हो सकता है ? सम्प्रदाय का राग आप अलाप सकते हैं, लेकिन एक साधक कभी ऐसा नहीं कर सकता आखिर तो सम्प्रदाय का राग भी 'राग'
ही है ।
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