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जिएं जीवन-का-दर्शन
एक ज्ञान तो वह है जिसका सम्बन्ध अनुभव से जुड़ा है और एक ज्ञान वह है जिसका सम्बन्ध जुड़ा हुआ है केवल बुद्धि के पांडित्य से। दुनिया में पंडितों की कमी नहीं है, लेकिन अनुभव करने वाले विरले ही होते हैं
अहले दानिश आम हैं, कामयाब हैं अहले नजर, क्या ताज्जुब कि खाली रह गया तेरा प्रयाग ।
दुनिया में शास्त्रों के जानकार तो बहुत हैं मगर अपने भीतर की प्रांख को खोल लेने वाले, भीतर को संजोने वाले कम हैं। सचमुच ! ऐसे लोग विरले ही होते हैं। केवल किताबों से ही स्वयं को भरते चले जाओगे तो पंडित हो जाओगे और 'पंडित' के पास कभी 'ज्ञान' नहीं फटकता । उसके पास केवल पाण्डित्य का अहंकार होता है। अहंकार को पल्लवित कर लेना एक बात है और अपने भीतर ज्ञान से विनम्रता ले पाना दूसरी बात । पंडित डींग हांक सकता है, लेकिन एक अनुभवी आदमी डींग नहीं हांकेगा, वह चर्चाएं करेगा। वो उपदेश नहीं देगा, वह बिना मतलब किसी को सलाह देता नहीं फिरेगा, वह लोगों से नेक सलाह लेने की कोशिश करेगा।
किसी को उपदेश देना और सलाह बांटना मुझे पसंद नहीं है। असल में उपदेश और सलाह किसी को देने जैसी चीज होती ही नहीं। इनका सम्बन्ध तो केवल भीतर जीने से है, रहस्यों में जीने से है।
जीवन के मार्ग से तो हर कोई गुजरता है। हम सभी गुजरते हैं। जिस राह से कृष्ण गुजरे, जिस राह से महावीर
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