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मानव हो महावीर
धरती पर मानव-जाति के क़दम बहुत आगे बढ़ चुके हैं। धरती के इतिहास में जितने उतार-चढ़ाव आए हैं, उतने शायद और किसी ग्रह में नहीं आए होंगे। यहां तक कि धार्मिक आस्था वाले लोग जिसे स्वर्ग और नर्क कहते हैं, वहां भी इतने उतार-चढ़ाव नहीं आए होंगे । कालचक्र की परिक्रमा और समय की उठापटक से पृथ्वी खूब प्रभावित हुई है।
महावीर और बुद्ध हजारों वर्ष पीछे छूट गए हैं। पार्श्वनाथ, राम और ऋषभदेव उनसे ज्यादा पीछे छूट गए हैं। पार्श्वनाथ, ऋषभदेव के नए संस्करण थे और महावीर, पार्श्वनाथ के नए संस्करण थे । हम इनके युग से हजारों वर्ष आगे आ गए हैं। बहुत दूर आ चुके हैं। हमारे पांव पृथ्वी पर हैं और आंख चांद के पार ।
अमृत-पुरुषों के बारे में यह कितनी महत्त्वपूर्ण बात है कि हम उन्हें हजारों वर्ष बाद भी याद करते हैं । उनकी साधना अनगिनत पुण्य-प्रदेशों का निर्माण कर गई है कि हजारों साल बाद भी उन्हें याद किया जा रहा है। परमात्म-पुरुषों का स्मरण होना शुभ चिह्न है । महावीर और बुद्ध को आज भी याद करना हमारे आध्यात्मिक जीवन के
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मानव हो महावीर / ७
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