SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 52
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ wwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwww सोच हो ऊंचा व्यक्ति अपने आपको जैसा बनाना चाहता है, वह वैसा ही बन जाता है। जो जिन विचारों से आंदोलित होता है, उसका व्यक्तित्व वैसा ही निर्मित होता चला जाता है। जिन विचारों से व्यक्ति प्रभावित होता है, उसका व्यक्तित्व भी वैसा ही प्रभावित होता है। विचार यदि मनुष्य के मन का अंकुरण है तो व्यक्तित्व इस बीज की फसल है। यदि कोई व्यक्ति क्रांतिकारी विचारों से प्रभावित होगा तो उसका व्यक्तित्व भी । क्रांतिकारी हो जाएमा। यदि कोई भयभीत विचार और चित्त का स्वामी है तो शेर तो दूर, वह छिपकली को देख कर भी डर जाएगा। यदि किसी के चित्त में काम, क्रोध के संवेग हैं तो आदमी किताबों की दूकान पर उन पत्रिकाओं को पहले देखने का उपक्रम करेगा जिनका संबंध काम और सेक्स से होगा। मन के कोषागार में व्यक्ति के विचार रहते हैं। यदि हम सौन्दर्य के बारे में निरंतर चिंतन करेंगे, हमारी चेतना निरंतर सौन्दर्य के बारे में सोचती रहे तो उसके भीतर एक-न-एक दिन सौन्दर्य उत्पन्न हो ही जाएगा। यह संभव ही नहीं है कि कोई व्यक्ति शिवत्व के बारे में चिंतन करता चला जाए और उसके जीवन में शिवत्व घटित न हो, शुभ मानव हो महावीर | ५१ Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003962
Book TitleManav ho Mahavir
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandraprabhsagar
PublisherJityasha Foundation
Publication Year1995
Total Pages90
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy