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________________ इसमें उस कागज या आकाश की कोई विशेषता नहीं है, विशेषता तो चित्र बनाने वाले की है। भाषा की वर्णमाला की तरह है हमारा जीवन। इस वर्णमाला से गालियां भी पैदा हो सकती हैं और गीत भी। जरा गौर कीजिये-'अ' से अश्लील भी होता है और अरिहंत भी। 'ब' से बलात्कार भी बनता है और ब्रह्मचर्य भी। ‘स' से सत्यानाश और सत्य दोनों बनते हैं। वर्णमाला तो वही है, फर्क यह है कि हम उसका उपयोग कैसे करते हैं। हम गाली पैदा करते हैं या गीत, यह तो जीवन जीने वाले के ऊपर है। इसलिए जीवन न तो व्यर्थ है और न ही सार्थक। व्यर्थ करना चाहो तो व्यर्थ और सार्थक बनाना चाहो तो सार्थक, तुम्हारे ही हाथ में है। हमारी दृष्टि में यदि दुःख ही बसा है तो हमें चारों ओर दुःख ही नजर आएगा और जीवन महान दुःख हो जाएगा। यदि आनन्द हमारा स्वभाव बन चुका है तो जीवन से बढ़कर दूसरा कोई आनन्द ही नहीं है। जीवन को कमल के पत्ते पर गिरी बूंद समझो तो क्षणभंगुर, और निरन्तरता की जीवन्त दृष्टि से देखो तो यह शाश्वत है। शास्त्र, पिटक और उपनिषद कहते हैं कि जीवन क्षण-भंगुर है। लेकिन वास्तव में जीवन क्षण-भंगुर नहीं है, क्षण-भंगुर तो मृत्यु है। जीवन तो पूरा जीना पड़ता है जबकि मौत क्षण भर में आ जाती है। कोई कहता है कि जीवन जीना पड़ेगा। जहां ‘पड़ेगा' की मजबूरी हो, वहाँ आनन्द नहीं। वास्तव में जीना तो वह है जिसमें भरपूर आनंद और उत्सव के साथ जीवन को जिया जाए। अगर व्यक्ति को जीने का आनन्द नहीं मिल रहा, उसके जीने का कोई अर्थ ही नहीं है, तो निश्चित मानिये, उसने चश्मा ही गलत नम्बर का पहन रखा है। एक व्यक्ति ने अदालत में तलाक के लिए अर्जी पेश की। न्यायाधीश ने अर्जी पढ़ी तो हैरान रह गए। उस व्यक्ति की शादी सात दिन पूर्व ही हुई थी। पत्नी को देखा तो वह भी खूबसूरत थी। तो क्या कारण है कि पति महोदय तलाक लेना चाहते हैं। न्यायाधीश ने युवक से पूछा तो वह बोला-‘बात कुछ नहीं है, लेकिन मैंने शादी के समय गलत नम्बर का चश्मा पहना हुआ था। अब सही नम्बर का चश्मा लग गया है, इसलिए अब सब कुछ सही दिखाई दे रहा है।' .. हमने जीवन जीने के चश्मे गलत नम्बर के लगा रखे हैं तो हमें मानव हो महावीर | ४१ Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003962
Book TitleManav ho Mahavir
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandraprabhsagar
PublisherJityasha Foundation
Publication Year1995
Total Pages90
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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