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मानव स्वयं एक मंदिर है
पुरानी कहानी है । मूसा जानवरों की भाषा के जानकार थे । एक बार एक आदमी उनके पास आया और उनसे आग्रह करने लगा कि उसे भी यह विद्या सिखा दें । मूसा ने इनकार कर दिया। लेकिन वह व्यक्ति रोज-रोज मूसा के पास आने लगा तो वे बड़े परेशान हुए । आखिर एक दिन उन्होंने यह विद्या सिखा कर अपना पीछा छुड़ाया । जानवरों की बोली समझने की विद्या सीखकर वह व्यक्ति बड़ा प्रसन्न हुआ। उस आदमी का जानवरों की खरीद-फरोख्त का धंधा था ।
एक रोज सुबह जब वह बाड़े में चक्कर लगा रहा था तो उसने. मुर्गा-मुर्गी को बोलते हुए सुना । मुर्गा कह रहा था कि अपने बगल में जो गधा खड़ा है उसकी दो दिन बाद मुत्यु हो जाएगी । उस व्यक्ति ने उसी दिन बाजार में जाकर वह गधा बेच दिया । वह गधा दो दिन बाद वास्तव में मर गया। वह व्यक्ति बहुत खुश हुआ। एक सप्ताह बाद उसने सुना कि उसके घोड़े की अगले दिन शाम को मौत हो जाएगी । वह सुबह ही घोड़े को बाजार में बेच आया। इसी तरह उसने एक खच्चर को भी बेच दिया । वह बहुत खुश था कि उसने काफी नुकसान बचा लिया ।
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मानव हो महावीर / २१
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