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________________ मोक्ष : आज भी सम्भव बुद्ध होना बताया है, पर गौतम को, सिद्धार्थ को महत्ता देने के लिए पूर्व की उपेक्षा करनी पड़ी और भविष्य में बुद्धत्व का द्वार बन्द कर दिया और कह दिया कि गौतम अन्तिम बुद्ध हैं। जो बुद्धत्व गौतम बुद्ध से पहले हर एक के लिए सुलभ था, लाखों वर्षों तक सुलभ रहा, गौतम के बाद बुद्धत्व के फूल मुरझा गये। और कहते हैं कि ऐसे मुरझाए, कि फिर दूसरा फूल खिला ही नहीं। यदि उस फूल का बीज ही नष्ट हो गया हो तब तो बात अलग है। पर फिर तो ये फल कभी खिलेंगे ही नहीं। बुद्धत्व अन्धकाराच्छन्न मार्ग में खो जायेगा। और यदि बीज नष्ट नहीं हुआ तो फिर जरूर खिलेगा। अपेक्षा है उसको सींचने की। जैनी कहते हैं कि इस चालू आरे में मोक्ष नहीं हो सकता। इस आरे में तीर्थ कर नहीं हो सकता। कितनी बेढबी बात है यह। अपने हाथों से अपने पैर पर कुल्हाड़ी चलाने जैसी बात है। एक ओर तो जैनदर्शन कहता है कि हर इन्सान ईश्वर बन सकता है। अपने राग-द्वेष रूपी शत्रुओं को परास्त कर वह जब चाहे तब अपना विकास कर सकता है। विकास कर सकता है कहना ठीक नहीं, उसका विकास हो जाता है अपने आप। इसी के विपरीत दूसरी ओर यह कहा जाता है कि मोक्ष, तीर्थ करत्व इस युग में, इस आरे में नहीं होगा। मैं पूछता हूँ कि यदि इस आरे में मोक्ष का अमृत-पान नहीं होगा, तो क्या यह जीवन जहर भरा ही रहेगा। तब तो यह जीवन कोई जीवन थोड़े ही होगा, उल्टा अभिशाप बन जायेगा। इस रहस्य से जो अनभिज्ञ हैं, वे कहते हैं कि महावीर स्वामी अन्तिम तीर्थङ्कर हुए, जम्बू अन्तिम मोक्षार्थी हुए। यह तो जैनाचार्यों की कृपा ही समझूगा कि उन्होंने मोक्ष का द्वार महावीर के बाद भी खुला रखा। बन्द किया जम्बू के बाद। 'जम्बू जड़ गया ताला रे'। ताले बन्द कर दिये, मोक्ष के । पाँचवाँ और छठा आरा समाप्त होगा। यानी कि इक्कीस और इक्कीस बयालीस हजार वर्ष के बाद फिर कालचक्र का दूसरा आधा चक्र प्रधावित होगा। उत्सर्पिणी चक्र के तीसरे-चौथे आरे में फिर मोक्ष और तीर्थङ्कर होंगे। ईसाई कहते हैं कि ईसामसीह, बस वे ही ऐसे व्यक्ति थे, जिनको परमात्मा ने स्वीकार किया। ईसा ही ईश्वर के एकमात्र बेटे थे। जब कि ईसा स्वयं बाइबल में स्थान-स्थान पर कहते हैं कि जो मेरा परमपिता है, वह सबका पिता है। किसी एक का अधिकार या बपौती नहीं है उस पर। वह सबका पिता है, सब उसके बेटे हैं। लेकिन ईसाई पादरी यही कहते हैं कि ईसामसीह ही ईश्वर के एक मात्र बेटे हुए। जब ईसा ही एकमात्र इकलौते बेटे हुए तो ईसाई धर्म के अनुसार यह सारा अस्तित्व फिर क्या है ? जैसे परमात्मा ने ईसा को पैदा किया, वैसे ही दूसरी जन जाति को भी पैदा किया। तो वह पिता ईसा के भी हैं और सबके हैं। लेकिन कहा यही जाता है कि ईसा ही अन्तिम मसीहा हुए। उनके बाद कोई हो ही नहीं सकता Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003961
Book TitleSamasya aur Samadhan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandraprabhsagar
PublisherJityasha Foundation
Publication Year1986
Total Pages110
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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