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________________ जीवन-यात्रा : महोपाध्याय चन्द्रप्रभ सागर सुप्रसिद्ध प्रवचनकार श्री चन्द्रप्रभ के मानक प्रवचनों का अनोखा संकलन। जीवन के हर क्षितिज में कदम-कदम पर राह दिखाने वाला यात्रा-स्तम्भ । मौलिक जगत् में जीने वालों के लिए विशेष उपयोगी। पृष्ठ ३८६, मूल्य ५०/प्रेम के वश में है भगवान : महोपाध्याय ललितप्रभ सागर । एक प्यारी पुस्तक, जिसे पढ़े बिना मनुष्य का प्रेम अधूरा है। पृष्ठ ४८, मूल्य ३/जित देखू तित तूं : महोपाध्याय चन्द्रप्रभ सागर अस्तित्व के प्रत्येक अणु में परमात्मा-शक्ति को दिखाने का श्लाघनीय प्रयत्न । पृष्ठ ३२, मूल्य २/चलें, बन्धन के पार : महोपाध्याय चन्द्रप्रभ सागर बन्धन-मुक्ति के लिए क्रान्तिकारी सन्देश । प्रवचनों में है बन्धन की पहचान और मुक्ति का निदान । पृष्ठ ३२, मूल्य २/वही कहता हूँ : महोपाध्याय ललितप्रभ सागर अध्यात्म के उपदेष्टा ललितप्रभजी के दैनिक समाचार-पत्रों में प्रकाशित स्तरीय प्रवचनांशों का संकलन, लोकोपयोगी प्रकाशन | पृष्ठ ४८, मूल्य ३/शिवोऽहम् : महोपाध्याय चन्द्रप्रभ सागर ध्यान की ऊँचाइयों को आत्मसात् करने के लिए एक तनाव-मुक्त स्वस्थ मार्गदर्शन । जीवन-कल्प के लिए एक बेहतरीन पुस्तक। पृष्ठ १००, मूल्य १०/विराट सच की खोज में : महोपाध्याय ललितप्रभ सागर सत्य की अनन्त संभावनाओं को दर्शाने वाला एक ज्योतिर्मय चिंतन । पृष्ठ ६४, मूल्य ६/आत्म-दर्शन : महोपाध्याय चन्द्रप्रभ सागर समस्त साधकों की साधना का सार है आत्म-दर्शन । अखिल भारतीय विद्वत परिषद की प्रशस्त प्रकाशन-प्रस्तुति। पृष्ठ ४०, मूल्य २/तुम मुक्त हो, अतिमुक्त : महोपाध्याय ललितप्रभ सागर समस्त विश्व के लिए नवसृजन का आह्वान । आत्म-क्रान्ति के अमृतसूत्र । पृष्ठ १००, मूल्य ७/रोम-रोम रस पीजे : महोपाध्याय ललितप्रभ सागर । जीवन के हर कदम पर मार्ग दर्शाते चिन्तन-सूत्रों का बेहतरीन दस्तावेज। थोड़े शब्द, अनमोल विचार। पृष्ठ ८८, मूल्य १०/ध्यान : क्यों और कैसै : महोपाध्याय चन्द्रप्रभ सागर हमारे सामाजिक जीवन में ध्यान की क्या जरूरत है, ध्यान का तरीका क्या हो सकता है, इस सम्बन्ध में सीधी और स्वच्छ राह दिखाती एक शालीन पुस्तक। पृष्ठ ८६, मूल्य १०/ Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003960
Book TitleChetna ka Vikas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandraprabhsagar
PublisherJityasha Foundation
Publication Year1994
Total Pages114
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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