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फेंकने वाली महिला के लिए उसी पोंछे की बाती जलाकर वे कहते हैं कि, 'उस गृहिणी का हृदय वैसे ही ज्योतिर्मय हो, जैसे पोंछे की बाती से बना यह दीपक ज्योतिर्मय है ।' जीवन में याद रखने के लिए महावीर के कानों में कीलों का ठुकना याद रहता है, जीसस का सलीब पर चढ़ना, सत्य के लिए सुकरात का विषपान करना, भक्ति के लिए मीरा का दीवानापन, साधना के लिए रामकृष्ण परमहंस, मर्यादा के लिए राम-लक्ष्मण - भरत का जीवन- ये सब प्रतीक याद रहते हैं । वक्त-बेवक्त पर इन्हीं से प्रेरणा लेते हैं । मन को सहज ही संबल मिल जाता है। महान लोगों के जीवन से यदि हम प्रकाश की किरण न ले पाएँ, तो उनका चरित्र हमारे किस उपयोग का !
मेरे लिए, जीवन के प्रतीक बड़े अद्भुत हैं । मेरे जीवन में मेरा अगर कोई पहला शास्त्र, पहला मंदिर और पहला प्रकाशस्तम्भ है तो यही बाँसुरियाँ, यही वीणा के तार, यही तम्बुरे और वही गन्दगी कि जिस गन्दगी को लोग गन्दगी समझ कर बाहर फेंकवा दिया करते है, पर उसी गन्दगी को अगर खाद बना दिया जाए तो वही फूलों को खुशबू देने का आधार बन जाता है। भला जब बकरी की मिंगनी किसी बीज को अपना साहचर्य देकर उस बीज में फूल और फूल में खुशबू दे सकती है, तो क्या आदमी अपने प्रयास से अपने स्वभाव को सौम्य और दिव्य बनाकर क्या अपने आप को ठीक नहीं कर सकता। मैं कभी-कभी एक शब्द कहा करता हूँ और वो शब्द है DOG जिसे उलट डालने पर बनता है GOD । केवल उलटने की ज़रूरत है, पलटने की ज़रूरत है। अच्छे हो तो मत उलट बैठना अपने आप को । पर अगर लगता है कि अभी भी गधापन है भीतर, अगर लगता है कि हम साँड की तरह किसी को सींग मार ही देते हैं, किसी चण्डकोशिक की तरह जब-तब क्रोध की फुफकार मार ही बैठता हूँ। तो अपने भीतर इन दो शब्दों को उतारें - डॉग एण्ड गॉड | DOG को उलटें, अपने आप को हम GOD बनाएँ, प्रभु के दिव्य मार्ग की ओर, अनंत के मार्ग की ओर ले जाएँ।
स्वभाव को, जीवन को सुन्दर बनाने के लिए आज एक सीधा-सरल सूत्र दे रहा हूँ कि मुस्कराना सीखो, हर पल मुस्कराओ, क्षण-क्षण मुस्कराओ,
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शांति पाने का सरल रास्ता
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