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________________ लाना, पूरी तरह से आनंदित हो जाना जिससे लगे कि स्वर्ग के वर्णन के कारण तुम खुशी का अनुभव कर रहे हो।' एक लड़के ने पूछा, 'सर, अगर नरक का वर्णन करना पड़े तो हम क्या करें?' कुलपति बोले, 'कुछ करने की ज़रूरत नहीं है। पृथ्वी अब उस अवस्था में पहुंच गई है जिसमें मनुष्य के जीवन में न तो शांति है, न उसमें आनंद है, न प्रभु की प्रीत है, इसलिए तुम्हारी जैसी सूरत है, वैसी सूरत से ही काम चल जाएगा। कोई विशेष सूरत बनाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी।' जीवन में स्वर्ग को ईज़ाद करने के लिए यह घटना एक सहज ही प्यारी प्रेरणा है। इस कहानी से आप अपने लिए प्रेरणा लें और अपने मन और सूरत को प्रेममय, शांतिमय, आनंदपूर्ण बनाएँ। निश्चय ही जिस चीज को पाने से आदमी को सुख मिले, वो चीज शांति है और उसे पाया जाना चाहिए। जिस चीज को छोड़ने से आदमी को सुख मिले वो चीज अशांति है, दुःख है और उसे छोड़ा जाना चाहिए। ध्यान में बैठकर हम अपने आप को शांतिमय बनाते हैं। अपनी श्वासों को शांतिमय बनाते हैं। अपनी काया को शांतिमय बनाते हैं। अपने अन्तर्मन को शांतिमय बनाते हैं। भीतर की चंचलता को, भीतर में सागर की लहरों की तरह उठ रही लहरों और मीनिंगलैस विचारधाराओं को शांतिमय बनाते हैं। ध्यान धर रहा हूँ अर्थात् स्वयं को शांतिमय बना रहा हूँ। यह एक अकेला बोध रखिए। एक बात और, आपने कभी टी. वी. तो देखी है। सबने देखी है। रोज ही देखते होंगे। टी. वी. देखना आदमी की एक आदत है। टी. वी. में आप किसी और को देखते हैं और ध्यान में अपने आप को देखते हैं। टी. वी. में अपने मनपसन्द का चैनल चलाते हो और ध्यान में भी आपको अपने मनपसंद का चैनल चलाना चाहिए। और, जब जो चैनल चलाते हैं, तब उसी चैनल से ही जुड़े हुए सारे दृश्य और वचन आया करते हैं। __ जब सोनी का चैनल चलाएँगे तो क्या स्टार चैनल का कोई दृश्य उसमें उभरकर आएगा? नहीं आएगा। जब सोनी का चैनल चलाओगे तो मन में चलाइए शांति का चैनल Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003959
Book TitleShanti Pane ka Saral Rasta
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandraprabhsagar
PublisherJityasha Foundation
Publication Year2012
Total Pages98
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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