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मोक्ष चेतना की आखिरी ऊँचाई है । उसके बारे में किया जाने वाला कथन प्राथमिक सूचना है, शिशु की तोतली बोली में बारहखड़ी है । मोक्ष तो सबके पार है । भाषा, तर्क, कल्पना और बुद्धि के चरण वहाँ तक जा नहीं सकते । (वहाँ तो है सनातन मौन, निर्वाण की निर्धूम ज्योत
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