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________________ ७७ में इनको सद्बुद्धि दे । क्योंकि मनुष्य को दृष्टि होती है और नारी की दिव्य दृष्टि । जैसा कि विक्टरह्य गो ने कहा है-Man have sight women insight" पत्नी के रूप में ? आश्चर्य क्यों ? इस रूप में भी उसने मानव को प्रेरणा प्रदान की है। "बन जाती है एक चुनौती जो मानव की, ललकार कभी देती निज पौरुष को यह । देती जय का विश्वास, युद्ध का साहस, जीने को शुभ वरदान जगत का आग्रह ॥" तुलसी जी की पत्नी ने उनको प्रभु-प्रेम में बंध जाने की प्रेरणा देकर सुन्दर भूमिका निभाई थी। अनेक उदाहरण.....। बहन के रूप में....."किस प्रकार महाराणा सांगा की धर्मपत्नी रानी कर्मवती ने अपने शत्र मुगल-सम्राट् हुमायूँ के हृदय को राखी के सूत्र भेजकर जीत लिया और उसे समस्त शत्रु ता भुलाकर मानव मात्र के लिए प्रेम में बंध जाने के लिए प्रेरित किया । दृष्टान्त कितने गिनाऊँ। ढ़ेर सारे हैं। साध्वी के रूप में.....। साध्वी......। बड़े-बड़े आचार्यों अथवा अन्य विश्वोद्धारकों के निर्माण में महान साध्वियों का हाथ रहा है। जैन आचार्य हरिभद्र सूरि जी अपने को 'याकिनी महत्तरा सूनु' लिखते हैं। दादा जिनदत्त सूरि जी को दीक्षा दिलाने में भी साध्वी जी का विशेष प्रयत्न था। भगवान् महावीर के शिष्यों में जहाँ गौतम गणधर नाम है, वहीं चन्दन बाला अग्रगण्या साध्वी का नाम है। जहाँ आनन्द,कामदेव आदि श्रावकों का नाम आता है तो वहीं सुलसा, रेवती आदि श्रविकाओं का भी नाम आता है । महासती राजुल,मदनरेखा आदि ने तो बड़ा उच्च आदर्श उपस्थित किया है । विचलित रहनेमि को साध्वी राजुल ने प्रतिबोध देकर जैसे महावत हाथी को वश में कर लेता है उसी तरह विकारी रहनेमि को पुनः संयम मार्ग में दृढ़ किया है। Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003957
Book TitleMaa
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandraprabhsagar
PublisherMahima Lalit Sahitya Prakashan
Publication Year1982
Total Pages128
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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