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( ग )
गया है और इस उत्तम रचना के रचयिता के रूप में अभिनंदन करना ही उचित समझता हैं । मेरा विश्वास है कि भविष्यत् उनकी हाथ में धरी कलम से कई ऐसे ग्रन्थ-रत्न देश को दिलाकर रहेगा जिनसे एक विचारक की प्रखर मेधा का आलोक युगों तक देश के जन-मन में पुनः पुनः उभर आने वाले अज्ञान-अन्धकार का अप्सारण करता रहेगा।
पुनः पुनः अभिनंदन ! २-११-८२
डा. ओमप्रकाश शास्त्री १२, अशोक पार्क एक्सटेंशन, एम. ए., पी. एच. डी., डी. लिट् रोहतक रोड, नई दिल्ली-२६
वरिष्ठ प्राध्यापक, हिन्दी विभाग, दयालसिंह कालेज, नई दिल्ली-३ दिल्ली विश्वविद्यालय, दिल्ली।
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