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________________ ३२ बनवीर ने कड़क कर कहा-"जल्दी बताओ उदयसिंह कहाँ सोया है ?" पन्नाधाई ने अपने हृदय को कठोर बनाकर कांपती हई उंगली से उस शय्या की ओर इशारा कर दिया। एक ही झटके में उसके बच्चे का उस निर्दयी-लोभी के प्रहार से रक्त भारत माता के चरणों का प्रक्षालण करने लगा। ___ मेवाड़ के गौरवशाली राजवंश के टिमटिमाते हुए अन्तिम दीपक की एक रक्षिका पन्ना धाई की यह कहानी इतिहास के पन्नों पर युगयुग तक चमकती रहेगी। पन्नाधाई पुत्र के निकट जाकर जैसे ही रोने लगी कि अचानक पुनः उसे उदय सिंह का ख्याल आया। राजमहल से चुपचाप निकल कर राजकुमार उदय सिंह के पास जा पहुंची। उदय सिंह को लेकर पन्नाधाई राज्य से बड़ी-बड़ी जागीर पाने वाले अनेक सामन्तों के पास गई और आश्रय की याचना की। पर... 'पर! एक तरफ बनवीरके आतंक से सभी पर भयाक्रांत और दूसरी तरफ जब सत्ता हमारे हाथ में का थी तब लाखों हमारे अपने थे, जब सत्ता हाथ से निकल गई तव अपना कोई न रहा, वाली बात भी घटित हो रही थी और इसीलिए मेवाड़ के उत्तराधिकारी को अपने आश्रय में रखने के लिए कोई भी तैयार नहीं हुआ। . अरावली के दुर्ग-पहाड़ों और ईडर के कूट पथों को पार करके अन्त में वह मेरु-दुर्ग पर पहुंची। किलेदार आशाशाह देपुरा नामक युवक की गोदी में बिठाकर आश्रय की भीख मांगी, प्रार्थना की । अवगत नहीं, क्या समझ कर उसने बालक को धीरे-धीरे गोदी से नीचे उतारने का प्रयत्न किया। । उक्त दृश्य आशाशाह की मां से न देखा गया। अपने पुत्र की भीरुता व कायरता से उसे बड़ा दुःख हुआ और सिंहनी की भाँति Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003957
Book TitleMaa
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandraprabhsagar
PublisherMahima Lalit Sahitya Prakashan
Publication Year1982
Total Pages128
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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