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चौथा उपाय : गुस्सा छोड़िए मुस्कान अपनाइये। गुस्सा और चिन्ता आदमी के दिमाग़ को दीवालिया करने वाले पहले दुश्मन है । गुस्सा अंगीठी की आग है और चिंता धीमा जहर। जो आदमी गुस्सा करने की बजाय शांत रहता है और चिंता करने की बजाय मस्त रहता है, उस आदमी की मेधा, प्रज्ञा
और प्रतिभा सदा उजागर रहती है। एक बार क्रोध करने से, दिनभर में ग्रहण किए गए भोजन से जितनी ऊर्जा मिलती है। एक बार क्रोध करने से वह ऊर्जा नष्ट हो जाती है। क्रोध ही हमारी स्मरण शक्ति को नष्ट करता है, क्रोध ही आत्म नियंत्रण को काटता है। जब-जब क्रोध पैदा होता है, समझदारी को दिमाग़ से बाहर निकाल देता है, और हमारी सद्बुद्धि के दरवाजे पर चटकनी लगा देता है। क्रोध का अर्थ है मूर्खता और क्रोध के नतीजों का अर्थ है पश्चाताप। शायद ही दुनिया में ऐसा कोई इंसान हो, जिसने अपना सिर क्रोध की पटरी के नीचे न डाला हो। प्रश्न है क्या हम ऐसे ही सदा क्रोध करने की मूर्खता दोहराते रहेंगे या इसका सीधा-सरल समाधान ढूंढेंगे? मेरा अनुरोध है गुस्सा छोड़िए और अधिकतम मुस्कुराइये। हंसने और मुस्कुराने से जहाँ दिमाग़ तनाव मुक्त और ऊर्जावान बनता है। वही हमारे हृदय को भी ताजगी मिलती है । मुस्कान की ताकत निर्बल के लिए बल है। और बेसहारों के लिए सहारा है । गुस्सा आदमी के जीवन का दुश्मन है तो मुस्कान हमारे जीवन की पल-पल साथ निभाने वाली मित्र है। दिमाग़ को अगर सबसे ज्यादा किसी से ऊर्जा की किरण उपलब्ध होती है तो वह भीतर में उपजने वाली मुस्कान और प्रसन्नता ही है। ज्यों-ज्यों हमारे जीवन में मुस्कान का विस्तार होता जाएगा। क्रोध चिंता और तनाव जैसी मानवीय दुर्बलताएँ हमारे जीवन से स्वतः लुप्त होती जाएगी।
किसी ने मुझसे पूछा कि हमें मुस्कुराने के लिए क्या करना चाहिए? मैंने । कहा: अपने हर दिन की शुरुआत मुस्कान के साथ करनी चाहिए और हर दिन का समापन भी मुस्कान के साथ ही। उस हर शब्द और निमित्त का जायका लेना चाहिए जो हमें मुस्कान का तोहफा दे सके।मुस्कान तो एक ऐसा धर्म है जिसमें फिटकरी लगे न टक्का मुस्कुराने का धर्म पक्का। आप सुबह भी मुस्कुराइये,
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