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अनकॉनसियस माइंड कहा जाता है। उसे ही हम अपनी भाषा में चित्त कहते हैं। ___ मस्तिष्क का ऊपरी हिस्सा जीवन का आध्यात्मिक क्षेत्र है। यह हमारा वह लोक है जिसमें जीवन का आध्यात्मिक सौंदर्य, आध्यात्मिक अनुभव और आध्यात्मिक आनंद व्याप्त रहता है । योग ने इस प्रदेश को सहस्रार चक्र कहा है।
मनुष्य के मस्तिष्क की अनंत संभावनाएँ हैं । सारा ज्ञान-विज्ञान, कल्पनाविचार, चिन्तन-अनुभव, संकोच-विस्तार, आचरण-दर्शन, शक्ति और साधना सब इसी के साथ जुड़े हुए पहलू हैं । एक सामान्य बुद्धि को लेकर जन्मा इन्सान अगर अपने जीवन के प्रति गंभीर हो जाए, लगन के साथ कड़ी मेहनत करे, एकाग्रता पूर्वक लक्ष्य को साधने का प्रयत्न करे तो केवल पांचवीं तक पढ़े घनश्यामदास बिड़ला देश के सबसे बड़े उद्योगपति बन सकते हैं, दसवीं तक पढ़े धीरूभाई अंबानी देश की बहुत बड़ी अर्थव्यवस्था के मालिक बन सकते हैं
और चूरू जिले के एक छोटे से गांव में जन्मे लक्ष्मीविलास मित्तल विश्व के नं.1 आयरन किंग कहला सकते हैं। सिर पर हाथ धरकर बैठने वाले उदास
और निराशावादी लोगों पर गली के कुत्ते भी नज़र नहीं डालते, वहीं आशा, उत्साह, लगन और ऊर्जा के साथ मेहनत करने वालों की तो किस्मत भी दासी हो जाती है।
मुझे भली-भांति याद है कि किसी समय मैंने भी नौवीं कक्षा सप्लीमेंट्री से पास की थी, किन्तु जिस दिन जीवन में शिक्षा और ज्ञान का महत्व समझ में आया, मैं लगातार इतना आगे बढ़ता गया कि आज बड़े-बड़े आई.ए.एस. ऑफिसर और बड़े-बड़े संत मुझे चाव से पढ़ते और सुनते हैं । मैं इसे संतों और आचार्यों का अपने पर स्नेह और आशीष समझता हूँ। जीवन में व्यक्तित्व विकास और मानसिक विकास की कोई तय उम्र नहीं होती। जब जागे तभी सवेरा। अगर हम आज से ही अपने प्रति जागरूक हो जाएं तो हम आने वाले
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